Apr 3, 2024, 12:59 AM IST

जानें महाकाल मंदिर से जुड़ी 10 रहस्यमयी बातें 

Puneet Jain

उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरा और सबसे खास ज्योतिर्लिंग है. आज हम आपकों इससे जुड़ी 10 रहस्यमयी बातें बताएंगे.

ये इकलौता दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है. दक्षिण यमराज की दिशा होती है जिन्हें काल का स्वामी भी कहा जाता है इसलिए इस ज्योतिर्लिंग को महाकाल कहते हैं. 

यहां भस्म आरती में प्रयोग होने वाली भस्म को पीपल के पत्ते, गोबर के बने कंडे, बेर के पेड़ के पत्ते और पलाश को जलाकर बनाया जाता है. 

मंदिर से कुछ दूर हरिसिद्धि माता मंदिर है. ज्योतिर्लिंग व शक्तिपीठ इतने करीब होने से महाकाल मंदिर का महत्व बहुत है.

पुराणों के अनुसार, महाकालेश्वर मंदिर की स्थापना ब्रह्मा जी ने की थी. 

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तीन भागों में है. सबसे निचले भाग में महाकालेश्वर, मध्य में ओंकारेश्वर और सबसे ऊपरी भाग में श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर स्थित है.

महाकाल को उज्जैन का राजा कहते हैं. मान्यता है कि रात को यहां कोई भी राजा, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री रुक नही सकता. ऐसा हुआ तो उसकी मौत हो जाएगी. 

भगवान शिव के एक मंत्र के अनुसार संसार में (आकाश, पाताल, मृत्यु) तीन लोक हैं. जिसमें महाकाल मृत्युलोक के स्वामी हैं. 

हर सावन के महीने में महाकाल को नगर का भ्रमण कराने के लिए उनकी सवारी निकाली जाती है, जो शिप्रा नदी के तट से शुरू होकर महाकाल मंदिर तक जाती है. 

महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय की प्रतिमाएं भी स्थापित हैं. 

कहा जाता है कि महाकाल के दर्शन के बाद भक्तों को ऋषि सांदिपनि के आश्रम (जहां श्री कृष्ण और सुदामा की भेंट हुई) के दर्शन करने चाहिए.