Dec 12, 2023, 12:57 PM IST

5 शादियां जिसकी मिसाल देती है दुनिया, लेकिन विवाह होने की कहानी है विचित्र 

Ritu Singh

आज आपको उन 5 देवताओं के विवाह के पीछे का सच बता रहे हैं जो किसी न किसी मकसद को पूरा करने, क्रोध को शांत करने या दो देवत्व के मिलन का कारण बने थे.

शिव–पार्वती विवाह- क्या आप जानते हैं कि शुरू में भोलेनाथ माता पार्वती से विवाह करने के लिए तैयार नहीं थे… और वो अपनी तपस्या में इस कदर लीन थे कि उन्हें माता पार्वती की तपस्या भी दिखाई नहीं दे रही थी. लेकिन तारकासुर राक्षस का अंत तभी हो सकता था जब शिवजी की संतान होती और इसलिए देवताओं ने शिवजी को देवी पार्वती से विवाह के लिए राजी किया था.

गणेशजी– रिद्धी-सिद्धी विवाह- जब गणेशजी के मु्ंख के कारण विवाह में देरी होने लगी और कोई भी उनके साथ विवाह करने को तैयार नहीं था वो क्रोध में आ गए और देवताओं के विवाह में बाधा डालने लगे. तब देवतागण ब्रह्माजी के पास पहुंचे और तब ब्रह्माजी ने अपनी दो मानस पुत्रियों रिद्धि और सिद्धि से गणेश जी के विवाह का प्रस्ताव भेजा और तब गणपति जी का क्रोध शांत हुआ.

विष्णु-लक्ष्मी विवाह-मां लक्ष्मी की उत्पत्ति समुंद्र मंथन से हुई थी.जिसके बाद असुरों ने माता लक्ष्मी पर अपना अधिकार जताना शुरू कर दिया तब फिर ब्रह्मा जी ने माता लक्ष्मी के स्वयंवर का ऐलान किया जिसमें असुरों और देवताओं सभी ने भाग लिया. लेकिन माता लक्ष्मी तो पहले से ही भगवान विष्णु को अपना पति मान चुकी थीं. लेकिन स्वयंवर में भगवान विष्णु उपस्थित नहीं थेतभी असुरों के राजा ने माता लक्ष्मी से कहा कि ये माला मेरे गले में डाल दो. लेकिन तभी भगवान विष्णु स्वयंवर में पहुंच गए… और माता लक्ष्मी ने भगवान विष्णु के गले में पुष्पों की माला डाल दी

राम-सीता विवाह- राजा जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए एक शर्त रखी थी, कि जो भी उनके पास मौजूद शिव धनुष को उठाएगा उसका विवाह वो अपनी पुत्री से कराएंगे. कई राजा महाराजा और देवता माता सीता के स्वयंवर में शामिल हुए थे लेकिन केवल भगवान श्रीराम ही उस धनुष को उठा सके और उनका विवाह देवी सीता से हुआ.

श्री कृष्ण- रुक्मणी विवाह-भगवान श्रीकृष्ण को देवी राधा से प्रेम था लेकिन श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में ये भी दिखाया था कि राधा और श्रीकृष्ण दो नहीं बल्कि एक हैं. लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हुआ था. देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुईं. और  भगवान् श्री कृष्ण और रुक्मणी के विवाह की रोचक कहानी का जिक्र मिलता है जिसमें कृष्ण ने रुक्मणी का हरण किया था, जिसके बाद कृष्ण और रुक्मणी का कृष्ण नगरी में खूब स्वागत हुआ था.