Oct 26, 2023, 01:28 PM IST

कर्ण के इन 5 गुणों की पांडव भी करते थे प्रशंसा 

Abhay Sharma

महाभारत के लगभग सभी प्रमुख पात्रों से हमें कुछ न कुछ न सीख जरूर मिलती है, इसमें से कर्ण का चरित्र  भी लोगों को प्रभावित करता रहा है. कर्ण में कई ऐसे गुण थे, जिसकी प्रशंसा पांडव भी करते थे. 

महाभारत काल के कर्ण का नाम और चरित्र हमेशा सबको याद रहता है. कर्ण में कई ऐसे गुण थे, जो उसे महाभारत के अन्य पात्रों से अलग करते हैं. आइए जानते हैं ऐसे ही 5  गुणों के बारे में.. 

कर्ण बहुत ही वीर और साहशी था और अंत तक उसने संघर्ष करना नहीं छोड़ा. इसलिए पांडव भी उसकी प्रशंसा करते थे.

स्वाभिमान- जब कर्ण को पता चला की वे कुंती पुत्र हैं, तब वे पांडवों के सबसे बड़े पुत्र होने का लाभ उठा सकते थे. लेकिन उनके स्वाभिमान ने यह स्वीकार नहीं किया. 

 वफादार मित्र- इसके अलावा कर्ण ने दुर्योधन के साथ अपने मरते दम तक निभाया यह जानते हुए भी की वे कुंती के पुत्र हैं और पांडव उनके भाई है. 

दानवीरता- सबसे महत्वपूर्ण कर्ण एक महादानी थे और  उन्होंने इंद्र को अपने प्राण कवच और कुंडल तक दान में  दे दिया था.  

हार न मानना-  कर्ण का जीवन भयंकर संघर्षमय रहा,  लेकिन अंत तक कर्ण ने हार नहीं मानी. इस कारण कर्ण का चरित्र आज भी लोगों को प्रभावित करता है.