महाभारत का सबसे प्रतापी योद्धा, जो था कौरवों का काल
DNA WEB DESK
महाभारत का सबसे प्रतापी योद्धा छल से मारा गया.
युद्ध चल रहा था. पांडव कौरव सेना पर भारी पड़ रहे थे. तभी कौरवों ने रणनीति बदल ली.
कौरवों ने ठाना कि युधिष्ठिर को बंदी बना लेते हैं, अर्जुन युद्ध में उलझे रहेंगे.
कृपाचार्य, द्रोणाचार्य और दूसरे कौरव महारथियों ने पांडवों के चारो भाइयों को उलझा लिया.
युधिष्ठिर चक्रव्यूह में फंस गए, तभी अर्जुन और सुभद्रा का पुत्र अभिमन्यु आया.
वह मां के गर्भ में ही युद्ध की सारी कलाएं जान गया था. बस वह चक्रव्यूह का तोड़ नहीं समझ पाया था.
वह चक्रव्यूह तोड़कर युधिष्ठिर को तो बचा ले गया. अभिमन्यु से दुर्योधन, कर्ण और गुरु द्रोणाचार्य हारते चले गए.
पर कौरवों ने छल किया. सभी महारथियों ने एकसाथ अभिमन्यु पर हमला कर दिया.
उन्हें लगा अगर यह नहीं मरा तो जीत पांडवों की ही होगी. अभिमन्यु चक्रव्यूह को तोड़कर बाहर नहीं निकल सका. चारो तरफ से हो रहे हमलों में वह मारा गया. उसे मारने वाले उसके अपने ही थे. भगवान कृष्ण उनके मामा थे.
अगर कौरवों ने अभिमन्यु का छल से संहार नहीं किया होता तो वह महाभारत का सबसे प्रतापी योद्धा होता.
नोट: यह कहानी महाभारत से जुड़ी हुई मान्यताओं और धार्मिक पुस्तकों के आधार पर लिखी गई है.