बालि ने सुग्रीव की पत्नी रूमा को जबरन रख लिया था और अपने छोटे भाई को किष्किंधा से निकाल दिया था.
सुग्रीव डरकर ऋष्यमूक पर्वत पर छिपकर रहते थे.
मां सीता का हरण हुआ तो राम भटकते वहां पहुंचे. उनकी सुग्रीव से दोस्ती हुई, राम ने शपथ ली कि बालि को मारेंगे.
उसकी और सुग्रीव की शक्ल एक जैसी थी, जिसकी वजह से कोई उनमें भेद नहीं कर सकता था.
बालि इतना ताकतवर था कि उसे सामने के युद्ध में हराया नहीं जा सकता था.
भगवान राम ने एक बाण से उसका वध कर दिया, लेकिन उन्होंने एक पेड़ की ओट से तीर चलाया.
बालि ने पूछा कि राम, आपने मुझे किस अधिकार से छिपकर मारा. यह अधर्म है, आप धर्म के प्रतीक हैं.
राम ने कहा, अनुज वधू, बहन, बेटे की पत्नी बेटियों की तरह होती हैं. इनके साथ कुकर्म करने वाले को कोई भी मार सकता है. आपने महापाप किया है, इसलिए वध किया है.
उसने सवाल किया कि दंड देने का अधिकार राजा का होता है, आपने क्यों मारा.
राम ने कहा कि पिता ने मुझे जंगल में धर्म की स्थापना का कार्यभार दिया है, उस अधिकार से मैंने वध किया है.