अयोध्या राम मंदिर में बिना माचिस के कैसे जली अग्नि, क्या है अरणी मंथन विधि?
Ritu Singh
अयोध्या राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में हर दिन विभिन्न पूजाएं की जा रही हैं. जिसमें 19 जनवरी को राम मंदिर में बिना माचिस या लाइटर के हवन जलाया गया.
इस पवित्र अग्नि को नवकुंड में स्थापित और हवन किया गया.
अरणीमंथन एक प्रकार का अनुष्ठान है जिसमें यज्ञ-हवन के दौरान माचिस या लाइटर से प्राकृतिक रूप से आग जलाई जाती है.
अरणीमंथन में एक विशेष प्रकार की लकड़ी का उपयोग किया जाता है. जिसमें ट्रेंड को जमीन पर ट्रेंड की तरह लकड़ी पर रस्सी से मथकर तैयार किया जाता है.
लकड़ी के दो टुकड़ों के बीच घर्षण से आग स्वतः ही प्रज्वलित हो जाती है. इस क्रिया को अरनिमंथन कहा जाता है. प्राचीन काल में यज्ञ-हवन जैसे धार्मिक कार्यों में मंत्रोच्चार द्वारा अग्नि प्रज्वलित की जाती थी.
रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी 2024 को पोष माह की बारस तिथि के अभिजीत मुहूर्त, इंद्र योग, मृगशिरा नक्षत्र, मेष लग्न और वृश्चिक नवांश का चयन किया गया है
जो 22 जनवरी 12 को 08 सेकेंड से 12 बजकर 30 मिनट 32 सेकेंड तक रहेगा। :29 अपराह्न. यानी राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के लिए सिर्फ 84 सेकेंड का शुभ मुहुर्त है.
अयोध्या राम मंदिर में विराजमान रामलला की पहली तस्वीर सामने आ गई है. इस मूर्ति में भगवान राम की अनोखी आभा का अनुभव होता है. भगवान राम की यह मूर्ति उनके बचपन की है.
इस मूर्ति की नक्काशी बेहद खूबसूरत और आकर्षक है. श्याम वर्णी रामजी की मूर्ति को देखने के लिए देशभर के लोग उत्साहित हैं. 22 जनवरी को इस राम मूर्ति को विराजमान किया जाएगा.