किसी भी देश का भविष्य उसके प्रधान नेता के हाथ में होता है. चाणक्य मानते हैं कि मजबूत प्रधान वाला देश ही सुरक्षित रह सकता है.
चाणक्य की नीतियां मौजूदा समय में भी कारगर हैं. उन्होंने देश के प्रधान में कूटनीति से लेकर राष्ट्र रक्षा नीति तक कई गुणों की जरूरत बताई है.
चाणक्य के हिसाब से प्रधान व्यक्ति की शक्ति देश की प्रगति लाती है. यह शक्ति मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक, तीनों तरह की होनी चाहिए.
समय पर मित्र को मित्रता दिखाना, दुश्मन को ताकत दिखाना कूटनीति के अहम अस्त्र हैं, जिनका प्रयोग प्रधान को समय व हालात के हिसाब से करना चाहिए.
प्रधान व्यक्ति की विदेश नीति में राष्ट्र हित सर्वोपरि होना चाहिए. इसके लिए युद्ध आखिरी हथियार होना चाहिए. उससे पहले 6 अहम तरीके संधि, समन्वय, दोहरी नीति, ठहराव, युद्ध की तैयारी व कूटनीतिक युद्ध अपनाने चाहिए.
प्रधान वही अच्छा होता है, जिसका प्रजा व पड़ोसी राजाओं से गहन संबंध होता है. ये संबंध लोकप्रिय बनाते हैं और समय पड़ने पर काम भी आते हैं.
अच्छा प्रधान लक्ष्य तय करने के साथ ही उस दिशा में जाने की नीति भी तय करता है और उसे हासिल करने के लिए हरसंभव कोशिश करता है.
प्रधान व्यक्ति को अच्छे सलाहकार चुनने चाहिए, जो सही-गलत पर टोकें और उचित सुझाव दें. प्रधान यदि गलत काम करे तो उसके जिम्मेदार सलाहकार ही होते हैं.
जनता के गलत काम का खामियाजा देश भुगतता है. चाणक्य नीति के छठे अध्याय के 10वें श्लोक में प्रधान को कठोर दंडनीति की सलाह दी गई है.