Jan 10, 2024, 09:18 AM IST

रामलला की पूजा के लिए विधि-विधान पर तैयार हुआ ग्रंथ

Ritu Singh

अयोध्या राम मंदिर में  22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के बाद विधिवत पूजा कैसे होगी और पूजा के नियम क्या होंगे इसपर एक पुस्तक तैयार हो चुकी है.

भगवान राम के बाल रूप की सुबह से रात सोने तक किस विधि से पूजा होगी और क्या भोग चढ़ेगा सब कुछ तय हो चुका है. वहीं, भक्तों के लिए प्रसाद चढ़ाने के नियम भी बन गए हैं. क्या है ये विधि-विधान चलिए जानें.

अयोध्या के रामलला मंदिर में भक्तों को प्रसाद चढ़ाने की अनुमति नहीं होगी और प्रभु रामलला के दर्शन के बाद ट्रस्ट की ओर से भक्तों को दिया जाएगा प्रसाद.

भागवान राम की प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामानंदी परंपरा के अनुसार  प्रभु की अराधना होगी. अयोध्या के 90 फीसदी मंदिरों में इसी परंपरा से पूजा होती है. रामानंदी परंपरा में रामलला की पूजन पद्धति थोड़े अलग भाव से होती है. पूजन में लालन-पालन, खान-पान और पसंद का ध्यान रखा जाता है,

प्रभु राम को बाल स्वरूप में शयन से उठाने के बाद चंदन और शहद से स्नान करवाने से लेकर दोपहर को विश्राम और संध्याकाल भोग आरती के बाद शयन तक की कुल 16 मंत्रों की प्रक्रिया होती है.  प्राण प्रतिष्ठा के बाद पूजन की विधि यही रहेगी. बस इसका तरीका और भव्य हो जाएगा.

राम मंदिर ट्रस्ट ने धार्मिक कार्यक्रमों और पूजा व्यवस्था को संचालित करवाने के लिए एक हाई पावर कमिटी बना दी है. श्रीराम सेवा विधि समिति पूजन विधि पर एक ग्रंथ भी प्रकाशित कर रही है. इसमें पूजा से लेकर अन्य धार्मिक कार्यक्रमों की विधिक प्रक्रिया का वर्णन होगा.

रामलला को चार समय भोग लगेगा. दिन और समय के हिसाब से अलग-अलग प्रसाद चढ़ाया जाता है. ये व्यंजन राम मंदिर की रसोई में बनते हैं. सुबह की शुरुआत बाल भोग से होती है. इसमें मिष्ठान चढ़ता है. दोपहर में राजभोग चढ़ता है, जिसमें दाल, चावल, रोटी, सब्जी, सलाद और खीर शामिल है. संध्या आरती के समय फिर से मिष्ठान और रात में भी पूरा भोजन चढ़ाया जाता है.

तीन समय रामलला की आरती होती है और ये परंपरा कायम रहेगी प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी. पहली आरती सुबह साढ़े छह बजे होती है. 

दोपहर 12 बजे भोग आरती होती है और साढ़े सात बजे संध्या आरती होती है. इसके बाद रामलला को साढ़े आठ बजे शयन करवाया जाता है. रामलला के दर्शन साढ़े सात बजे तक ही किए जा सकेंगे.