May 17, 2025, 09:39 AM IST

क्या पत्नी के किए व्रत और पूजा-पाठ का लाभ पति को मिलता है?

Ritu Singh

क्या सचमुच पत्नी द्वारा किए गए व्रत और पूजा-पाठ का लाभ पति को मिलता है? प्रेमानंद महाराज ने इस प्रश्न का शानदार जवाब दिया है.

 एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से प्रश्न पूछा कि यदि पत्नी पूजा-पाठ करती है तो क्या वास्तव में पति को उसका लाभ मिलता है? उन्होंने इसका उत्तर बहुत ही सरल एवं शांत तरीके से दिया.

भारतीय संस्कृति में एक आम धारणा है कि यदि पत्नी सच्चे मन से भगवान की पूजा करती है, उपवास रखती है और धर्म के मार्ग पर चलती है, तो उसके गुण स्वतः ही उसके पति और परिवार को प्राप्त हो जाते हैं. लेकिन यह कितना सच है?

उसके गुण स्वतः ही उसके पति और परिवार को प्राप्त हो जाते हैं. लेकिन यह कितना सच है?

प्रेमानंद महाराज ने स्पष्ट कहा कि यदि पत्नी भक्ति में लीन है तो उसे इसका पुण्य अवश्य मिलेगा. जो कोई भी पूजा करता है, उसे ही उसका फल मिलता है. लेकिन

अगर पत्नी चाहे तो वह अपना सद्गुण अपने पति को दे सकती है, लेकिन यह उसकी इच्छा पर निर्भर करता है. इसका अर्थ यह है कि पुण्य कोई ऐसी चीज नहीं है जो स्वतः प्राप्त हो जाती है, यह एक आध्यात्मिक संपत्ति है, जिसे भक्त द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

इसका अर्थ यह है कि पुण्य कोई ऐसी चीज नहीं है जो स्वतः प्राप्त हो जाती है, यह एक आध्यात्मिक संपत्ति है, जिसे भक्त द्वारा नियंत्रित किया जाता है.

महाराज कहते हैं कि सभी को पूजा और प्रार्थना करनी चाहिए. कोई भी आपके कर्म को सुधार नहीं सकता, आप केवल ध्यान, कीर्तन और जप के माध्यम से ही अपना पुण्य अर्जित कर सकते हैं.

इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यदि पत्नी भगवान की स्तुति और पूजा करेगी तभी उसे इसका लाभ मिलेगा. 

पति को यह तभी मिलेगा जब वह अपनी पत्नी का सम्मान करेगा, उसके मार्ग में उसका साथ देगा, या जब पत्नी उसे अपना सद्गुण देना चाहेगी. 

यह विचारधारा आधुनिक नारी की आत्मनिर्भरता और उसकी आध्यात्मिक शक्ति का भी प्रतिबिंब है.

अर्थात् भक्ति का फल केवल भावना और कर्म पर आधारित होता है. एक पति को अपनी पत्नी की भक्ति से तभी लाभ होगा जब उसकी पत्नी ऐसा चाहेगी.

 इसलिए यह सोचना कि यदि मेरी पत्नी पूजा कर रही है तो मुझे भी पुण्य मिलेगा, केवल भ्रम है.