रावण प्रकांड पंडित माना गया था और अपने जीवन काल में उसने आयुर्वेद से लेकर तंत्र और ज्योतिष से जुड़े कई ग्रंथों की रचना की थी.
इंद्रजाल जैसी अथर्ववेदमूलक विद्या का रावण ने अनुसंधान किया था.
रावण के पास सुषेण जैसे वैद्य थे, जिन्होंने मूर्छित लक्ष्मण की जान बचाई थी.
रावण के बारे में वाल्मीकि रामायण, पद्मपुराण, श्रीमद्भागवत पुराण, आनंद रामायण, दशावतारचरित, कूर्मपुराण, महाभारत समेत जैन ग्रंथों में भी उल्लेख है.
चलिए जाने रावण ने कितने ग्रंथों की रचना की थी और किस ग्रंथ में किस बारे में लिखा गया है.
अरुण संहिता- इस ग्रंथ में कुंडली, हस्त रेखा और सामुद्रिक शास्त्र का समावेश है.
रावण संहिता- इसमें ज्योतिष से जुड़ी कई अचूक जानकारियां हैं.
शिव तांडव स्त्रोत- शिव जी को खुश करने के लिए इस स्त्रोत की रचना तब की थी रावण ने जब उसकी उंगली कैलाश पर्वत के चीजे दबी थी.
चिकित्सा और तंत्र से जुड़े ये ग्रंथ थे- पटलात्मक उड्डीशतंत्र,दस शतकात्मक अर्क प्रकाश, कुमारतंत्र और नाड़ी परीक्षा.
कहा जाता है कि रावण ने ही अंक प्रकाश, इंद्रजाल, कुमारतंत्र, प्राकृत कामधेनु, प्राकृत लंकेश्वर, ऋग्वेद भाष्य, रावणीयम, नाड़ी परीक्षा आदि पुस्तकों की रचना की थी.