महाभारत युद्ध में अपनी ही सेना का मनोबल तोड़ता था ये राजा
Nitin Sharma
द्वापर युग में 18 दिनों तक चले महाभारत युद्ध में करोड़ों सैनिकों और योद्धाओं ने अपनी जान गवां दी.
इस युद्ध के साक्ष्य और कथाएं आज भी बताई जाती है. इसमें हर किरदार की अपनी अलग कहानी थी.
महाभारत युद्ध में भी इसी तरह एक अलग योद्धा था, जो अपने सैनिकों का मनोबल तोड़ता था.
यह योद्धा कोई ओर नहीं बल्कि राजा शल्य थे. उनके पास बड़ी सेना थी.
राजा शल्य पांडवों के मामा लगते थे. वे महाभारत युद्ध में लड़ने के लिए अपनी सेना के साथ हस्तिनापुर पहुंचे थे.
यहां उनके लिए बेहतरीन भोजन की व्यवस्था की गई. यह देखकर वह खुश हो गये. उन्हें लगा कि यह इंतजाम युधिष्ठिर ने किया होगा.
लेकिन कुछ देर में यहां दुर्योधन पहुंचा. उसने बताया कि उनके भोजन का सारा प्रबंध उसने किया है.
इस पर राजा शल्य प्रसन्न हो गये. उन्होंने दुर्योधन से कहा कि तुम कुछ भी मांग सकते हो.
दुर्योधन ने तुरंत कहा कि मैं चाहता हूं कि आप कौंरवों की तरफ से लड़े. वचन दें कि चुके राजा शल्य मजबूरी में तैयार हो गये, लेकिन उन्होंने दुर्योधन के सामने एक शर्त रखी.
राजा शल्य कहते हैं कि उनकी जुबान पर नियंत्रण नहीं होगा. इस पर दुर्योधन तैयार हो जाते हैं.
इसी के बाद राजा शल्य पांड़वों के खिलाफ युद्ध तो लड़ते हैं, लेनिक पूरे युद्ध में उनकी प्रशंसा करते हैं और कौरवों की तरफ से लड़ रही सेना का मनोबल तोड़ते रहते हैं.