वैदिक ज्योतिष के अनुसार विवाह से पहले वर-वधू की कुंडली मिलान जरूरी है और निर्धारित गुण मिले पर ही शादी करनी चाहिए.
कितने गुण मिलने पर वर-वधू की शादी होती है और कौन से मुख्य गुण का मेल जरूरी होता है. चलिए जानें.
जन्मकुंडली के आठ विभाग होते हैं. इन आठ श्रेणियों में 36 गुण हैं. शादी से पहले दूल्हा-दुल्हन के बीच इन 36 बार मिलान किया जाता है.
ऐसा माना जाता है कि जोड़े में जितने अधिक गुण समान होंगे, वैवाहिक जीवन उतना ही खुशहाल होगा. और यदि 36 में से 36 गुण मेल खाते हैं, तो वे आदर्श युगल हैं,लेकिन राम-सीता के ही केलव 36 गुण मिले थे.
यदि वर-वधू की कुंडली 18 बार से कम मेल खाती है तो विवाह नहीं किया जाता है. 18 से 24 बार करने पर वैवाहिक जीवन सफल रहता. 25 से 32 गुण मेल खाने वालों का वैवाहिक जीवन सबसे सुखी माना जाता है.
यदि 33 से अधिक गुण मेल खाते हैं, तो वे आदर्श युगल हैं. इनमें काफी समानता है. वे बहुत सुखी और शांतिपूर्ण वैवाहिक जीवन जीते हैं.
जन्म कुंडली मिलान के लिए आठ श्रेणियां हैं,वर्ण या जाति, शक्ति का निर्धारण, योनि,गण,नाड़ी, मांगलिक दोष, जन्म नक्षत्र, राशि अनुकूलता. इनका मिलान जरूरी है.