Dec 27, 2023, 12:22 PM IST

इस नक्षत्र में जन्मे थे भगवान राम, वियोग और अलगाव तय होता है 

Ritu Singh

भगवान राम का जन्म जिस नक्षत्र में हुआ था उसमें अलगाव या जीवनसाथी से बिछड़ना लिखा होता है और यही कारण है कि भगवान राम और सीता मिल के भी नहीं मिल पाए थे.

भगवान श्रीराम का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था और इस नक्षत्र में जन्मे लोगों का जीवन वैसे तो गौरवशाली होता है लेकिन दांपत्य या प्रेम के मामले में इनका जीवन विरह और दुख से भरा होता है.

बिल गेट्स अमर्त्य सेन नाओमी कैंपबेल वॉरेन बफेट का जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में ही हुआ है और सभी के जीवन में अलगाव देख सकते हैं आप.

पुनर्वसु हिंदू ज्योतिष में 27 नक्षत्रों में से एक है. इसे तमिल में पुनर्पूसम, संस्कृत में पुनर्वसु के नाम से भी जाना जाता है और यह मिथुन राशि से जुड़ा है.

पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी बृहस्पति ग्रह है. इसे मिथुन राशि के स्वामी ग्रह बुध के प्रभाव में भी माना जाता है.इसकी देवता अदिति हैं, जो सभी देवताओं की माता हैं

पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म लेने पुरुष जातक आमतौर पर लंबे होते हैं और आकर्षक व्यक्तित्व वाले होते हैं. वे बौद्धिक, संचारी हैं और बहुत प्रेरक हो सकते हैं.

पुनर्वसु महिला जातक सुंदर, बुद्धिमान और पालन-पोषण करने वाली होती हैं. उनमें एक मजबूत मातृ प्रवृत्ति होती है और वे उत्कृष्ट मां साबित होती हैं.

पुनर्वसु नक्षत्र के जातक रोहिणी, मृगशिरा, चित्रा, स्वाति और विशाखा नक्षत्र के तहत पैदा हुए लोगों के साथ अनुकूल होते हैं.