Aug 12, 2024, 07:45 PM IST

श्रीकृष्ण से मरते हुए कर्ण ने मांगे थे कौन से वरदान

Kuldeep Panwar

महाभारत में पांडवों और कौरवों के बीच धर्म-अधर्म का युद्ध लड़ा गया था. कई ऐसे योद्धा थे, जो धर्म के पक्ष में थे, लेकिन कुछ कारणों से कौरवों के लिए लड़े थे.

ऐसे योद्धाओं में पितामह भीष्म के साथ ही कर्ण भी शामिल थे, जिनका सम्मान उनकी वीरता और अन्य गुणों के चलते दुश्मन भी करते थे.

वास्तव में कर्ण सबसे बड़े पांडव थे. विवाह से पहले माता कुंती सूर्यदेव के आशीर्वाद से कुंआरी मां बनी थी. लेकिन उन्होंने कर्ण को नदी में बहा दिया था.

कर्ण को नदी से अधिरथ नाम के सारथी ने निकाला था, जो हस्तिनापुर राजवंश के रथों को हांकते थे. उन्होंने ही कर्ण का पालन-पोषण किया  था.

कर्ण को सारथी ने पाला था. इस कारण वीर और बेहतरीन धनुर्धर होने पर भी राजाओं के बीच उन्हें पर्याप्त सम्मान नहीं मिलता था.

दुर्योधन ने उन्हें अर्जुन से बेहतरीन धनुर्धर मानते हुए अपने मित्र के तौर पर सम्मान दिया था और अंग देश का राजकाज भी उनके नाम कर दिया था.

अर्जुन से भी बड़ा धनुर्धर कहलाने के बावजूद सबसे बड़े दानी कहलाने वाले कर्ण का वध महाभारत के युद्ध में अर्जुन के ही हाथों हुआ था. 

युद्धभूमि में जब अर्जुन के साथ कर्ण का युद्ध चल रहा था, तभी एक शाप के कारण उनके रथ का पहिया धरती में धंस गया था. जब कर्ण उसे निकालने लगे तो श्रीकृष्ण के आदेश पर अर्जुन ने उन्हें तीरों से छलनी कर दिया था. 

कर्ण का एक योद्धा और महादानी के तौर पर बेहद सम्मान करने वाले श्रीकृष्ण उनके अंतिम समय में दानवीरता की परीक्षा लेने उनके पास पहुंचे.

श्रीकृष्ण ने कर्ण से दान मांगा तो कर्ण ने घायल-बेबस बताया. कृष्ण के ताना मारने पर कर्ण पत्थर से अपना सोने का दांत तोड़कर दान कर दिया.

मौत की घड़ी गिनते समय भी दान धर्म नहीं भूलने वाले कर्ण की इस बात से श्रीकृष्ण बेहद प्रभावित हुए. उन्होंने कर्ण को दो वरदान मांगने को कहा.

श्रीकृष्ण से कर्ण ने पहले वरदान में यह मांगा कि उसे अगले जन्म में राजा बनने का मौका मिले और श्रीकृष्ण उसके ही राज्य में जन्म लें. 

कर्ण ने श्रीकृष्ण से दूसरे वरदान में अपना अंतिम संस्कार करने का वादा लिया. साथ ही कहा कि अंतिम संस्कार वो इंसान करे, जिसने कभी पाप ना किया हो.

कर्ण को दिए इस वरदान के कारण ही श्रीकृष्ण ने उसकी मौत के बाद खुद तीरों की चिता बनाकर उस पर कर्ण का अंतिम संस्कार किया था.