Dec 23, 2023, 11:24 AM IST

जानें कैसे गांधारी ने एक साथ 100 कौरवों को दिया था जन्म

Nitin Sharma

द्वापर युग के महाभारत से जुड़ी तमाम कथाएं और साक्ष्य कलयुग में मिलते हैं. इनमें कौरवों की और पांडवों के युद्ध से लेकर 100 कौरवों के जन्म की कहानियां शामिल है.

कथाओं में बताया जाता है गांधारी ने एक साथ 100 पुत्रों और एक पुत्री को जन्म दिया था. यह सुनते ही हर कोई हैरान रह जाता है.

गांधारी शिवभक्त तपस्विनी और सत्य के पक्ष में रहती थी. वह पांडवों के साथ न्याय करना चाहती थी, लेकिन उनके पुत्रों ने गांधारी की एक बात नहीं मानी. इसी के चलते महाभारत युद्ध हुआ और कौरवों को हार का सामना करना पड़ा.

धृतराष्ट्र चाहते थे उनके भाइयों की संतान से पहले उन्हें संतान की प्राप्ति हो, क्योंकि उस समय जो भी नई पीढ़ी में बड़ा पुत्र होता था. उसे राज्य की कमान सौंपी जाती थी. इसके लिए धृतराष्ट्र ने गांधारी से प्रेम पूर्वक बात कर एक पुत्र को जन्म देने की इच्छा जाहिर की. गांधारी उनकी बात मानते हुए गर्भवती हो गई.

गांधारी को नौ से ग्यारह माह बीतने के बाद भी संतान नहीं हुई तो चिंता बढ़ने लगी. उन्होंने लगातार समय बीतने पर अपने पेट को चोट पहुंचाई. हताश होकर उन्होंने छड़ी से पेट पर वार किया. इससे गांधारी का गर्भपात हो गया और मांस का एक काला टुकड़ा गर्भ से बाहर आया.

गांधारी के गर्भ से निकले काले मांस के टुकड़े को देखकर सब डर गये. चारों तरफ चीख पुकार शुरू हो गई. जंगलों से जानवर भी बाहर सड़कों पर आकर रोने लगे. दिन में ही चमगादड़ दिखने लगे. यह सब अशुभ संकेत देखकर ऋषि मुनि भी हस्तीनापुर छोड़कर चले गए. यह देखकर गांधारी भी घबरा गई.

गांधारी ने व्यास जी को बुलाया. व्यास जी ने गांधारी द्वारा उनके पैरों में मरहम लगाने से प्रसन्न होकर सौ पुत्रों का आशीर्वाद दिया था. मांस का काला टुकड़ा पैदा होने पर गांधारी ने व्यास जी से कहा कि आप ने मुझे 100 पुत्र पैदा होने का आशीर्वाद दिया था, लेकिन यह तो मांस का टुकड़ा जन्मा है. इसे जन्म दीजिए या फिर किसी मिट्टी खुद दबा दीजिए.

इस पर व्यास जी ने गांधारी से कहा कि मांस का यही टुकड़ा लेकर आओ. उन्होंने मांस के टुकड़े से 100 अलग अलग टुकड़े कराएं. इन्हें तहखाने में जड़ी बूटियों के साथ अलग अलग मिट्टी के घड़ों के नीचे रख दिया. एक टुकड़ा और बचा तो उसे भी अलग घड़े में रख दिया. व्यास जी ने गांधारी से कहा कि अब तुम्हारे 100 पुत्र और एक पुत्री होगी. 

दो साल बाद तहखाने को खोला तो जो गांधारी का पहला बच्चा निकला, जो दुर्योधन था. इसके बाद सभी घड़ों से दुर्योधन समेत 100 पुत्र और एक पुत्री का जन्म हुआ. 

गांधारी के 100 पुत्रों को कौरवों का नाम दिया गया है. उन्हें कौरव कहा जाता है.