May 6, 2024, 07:34 PM IST
सूर्यपुत्र और दानवीर होने के बाद भी कर्ण की क्यों नहीं होती पूजा?
Smita Mugdha
महाभारत की कथा में कर्ण को दानवीर राजा और वीर योद्धा के तौर पर मान्यता मिली है.
सूर्यपुत्र होने के बाद भी कर्ण की पूजा नहीं होती है, क्या आप इसकी वजह जानते हैं?
उत्तराखंड में कर्ण का एक मंदिर है जहां स्थानीय लोग पूजा करते हैं, लेकिन आम तौर पर कर्ण को देवरूप नहीं माना जाता.
इसके पीछे की कई मान्यताएं हैं जिनमें से एक है कि महाभारत के योद्धाओं में सभी किरदार थे और श्रीकृष्ण ही देव रूप में थे.
कर्ण के माता-पिता भले ही कुन्ती और सूर्य देव थे लेकिन लालन-पालन सारथी अधिरथ और राधा ने किया था.
इसलिए, महाभारत में उनके लिए सुत पुत्र का भी उपयोग किया जाता है और इसलिए उन्हें देव स्थान नहीं मिला था.
हालांकि, अपने पुरुषार्थ और दानवीरता की वजह से कौरव पक्ष से युद्ध करने के बाद भी कर्ण को सम्मान दिया जाता है.
कर्ण की वीरता और दानवीरता की श्रीकृष्ण ने भी तारीफ की थी और उन्होंने ही अपने हाथों से उनका अंतिम संस्कार किया था.
नोट: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है. इनके प्रमाणिक होने का दावा DNA Hindi नहीं करता है.
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