Aug 31, 2024, 09:03 PM IST
पूर्वजन्म में कौन थे कर्ण? कुंडल-कवच का भी वहीं से रिश्ता
Smita Mugdha
महाभारत में कर्ण ने कौरवों की तरफ से युद्ध में हिस्सा लिया था लेकिन इसके बाद भी उनका काफी सम्मान है.
महाभारत के सभी योद्धाओं में कर्ण का स्थान उनकी वीरता और दानवीरता की वजह से काफी ऊपर माना जाता है.
कर्ण के पास कई दिव्य अस्त्र थे लेकिन उनके कुंडल और कवच को उनका सबसे बड़ा सुरक्षा कवच माना जाता है.
क्या आप जानते हैं कि कर्ण के कुंडल-कवच का रिश्ता उनके पिछले जन्म से ही जुड़ा था.
सतयुग में दुरदुम्भ नाम का एक राक्षस था जिसे सूर्य देव ने 100 कुंडल और कवच दिए थे जिसकी वजह से उसकी मृत्यु असंभव थी.
दुरदुम्भ का कवच मारने वाले की भी मृत्यु हो जाती थी ऐसे में नर की मृत्यु के बाद नारायण तपस्या कर जीवित करते और यही फिर नर करते.
इस तरीके से दोनों ने उसके 99 कवच तोड़ दिए तो वह जाकर सूर्य देव के पीछे छुप गया और उन्होंने उसकी रक्षा की प्रार्थना की थी.
इस तरीके से दोनों ने उसके 99 कवच तोड़ दिए तो वह जाकर सूर्य देव के पीछे छुप गया और उन्होंने उसकी रक्षा की प्रार्थना की थी.
नर-नारायण ने कहा कि द्वापर में वह कुंडल-कवच के साथ जन्म लेगा लेकिन संकट के वक्त यह काम नहीं आएंगे. कर्ण के रूप में उसने जन्म लिया था.
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