May 13, 2024, 01:04 PM IST

महाभारत का ये योद्धा बिना लड़े ही बना पांडवों के जीत की वजह

Nitin Sharma

द्वापर में 18 दिनों तक चले महाभारत युद्ध की कलयुग में तमाम कहानियां प्रचलित हैं. आज भी इस युद्ध के निशान धरती पर मिलते हैं. 

कौरवों और पांडवों के बीच हुए महाभारत युद्ध में करोड़ों योद्धा और सैनिक शामिल हुए थे.महाभारत युद्ध में किसी ने पांडवों का साथ दिया तो कुछ ने कौरवों का साथ निभाया.

महाभारत में एक योद्धा ऐसा भी था, जो इस युद्ध में नहीं लड़ा, लेकिन उनकी वजह से ही पांडवों को जीत प्राप्त हुई. 

महाभारत का यह योद्धा घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक थे. उन्हें भगवान शिव से तीन अमोघ बाण प्राप्त थे. 

महाभारत युद्ध के दौरान बर्बरीक भी अपने घर से युद्ध में शामिल होने निकले थे. इस बात की जानकारी मिलते ही श्रीकृष्ण वेष बदलकर बर्बरीक के सामने पहुंचे. 

श्रीकृष्ण ने बर्बरीक से पूछा कि तुम युद्ध में किसकी तरफ से आओंगे. इस पर बर्बरीक ने कहा कि जो भी युद्ध में हारेगा. मैं उसी का साथ दूंगा.

यह पता लगते ही श्रीकृष्ण ने बर्बरीक की क्षमता जांच ने के लिए बाण चलाने के लिए कहा, बर्बरीक के बाण चलाते ही पेड़ के सारे पत्तों में छेद हो गया. एक पत्ता श्रीकृष्ण ने अपने पैरों के नीचे दबा लिया. 

भगवान द्वारा पैरों के नीचे पत्ता दबाने की वजह तीर उनके पैर के आसपास घुमने लगा. यह देखते ही श्रीकृष्ण समझ गये कि अगर बर्बरीक युद्ध के मैदान में आ गये तो पांडवों का जीतना मुश्किल हो जाएगा.

इस पर श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को रोकने के लिए उनके ​शीश का दान मांग लिया. बर्बरीक योद्धा होने के साथ ही बड़ा दानवीर था. वह भगवान को पहचान गया. बर्बरीक ने शीश काटने से पहले भगवान से 2 वरदान मांगे. उन्होंने कहा कि आप मुझे अपने भगवान रूपी दर्शन दें. दूसरा मुझे महाभारत का युद्ध देखना है. 

इतना कहते ही बर्बरीक ने अपना शीश काटकर भगवान के चरणों में रख दिया. इस पर श्रीकृष्ण ने उनकी दोनों इच्छा पूर्ण कर बर्बरीक के शीश को पहाड़ों पर रख दिया 

साथ ही श्रीकृष्ण ने बर्बरीक को वरदान दिया कि तुम कलयुग में मेरे नाम से जाने जाओंगे. आज बर्बरीक को खाटू श्याम जी के नाम से जाना जाता है.