Jun 27, 2024, 10:30 AM IST

क्यों युधिष्ठिर के पैरों में गिर गये थे भगवान श्रीकृष्ण

Nitin Sharma

पांडवों और कौरवों के बीच हुए महाभारत युद्ध में कई ऐसे मौके आए, जब पांडव ही आपस में भीड़ गये. 

पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत युद्ध के 17वें दिन युधिष्ठिर और कर्ण का आमना सामना हुआ. यहां कर्ण ने युधिष्ठिर को बुरी तरह घायल कर दिया.

इस पर युधिष्ठिर के दूसरे भाई उन्हें उपचार के लिए युद्ध भूमि से थोड़ा दूर ले गये. 

भीम को जैसे ही युधिष्ठिर के घायल होने का पता लगा. उन्होंने अर्जुन को भाई का हाल चाल पूछने के लिए भेज दिया. 

अर्जुन हाल चाल जानने पहुंचे. युधिष्ठिर को लगा कि वह कर्ण का वध करके उनके पास आए हैं, लेकिन जैसे ही उन्हें पता लगा कि भीम कर्ण का सामना कर रहे हैं तो उन्होंने अर्जुन से कहा कि तुम गांडीव धनुष को त्याग दो.

यह सुनते ही अर्जुन को गुस्सा आ गया. उन्होंने युधिष्ठिर को मारने के लिए तलवार उठा ली. यह देखते ही श्रीकृष्ण ने अर्जुन को रोका. उन्होंने बताया कि गांडीव को कुछ भी कहने पर उन्होंने मारने की प्रतिज्ञा ली है. 

इस पर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा कि तुम युधिष्ठिर का अपमान कर दो. बड़े भाई का अपमान करना उसकी हत्या करने के जैसा ही है. अर्जुन ने श्रीकृष्ण के कहने पर युधिष्ठिर का अपमान किया. इससे अर्जुन भी आत्मगिलानी से भर गये. 

वहीं युधिष्ठिर को छोटे भाई अर्जुन द्वारा अपमानित करने पर आघात लगा. वे शैय्या से कूदकर वन गमन की तैयारी में जुट गये. 

तब भगवान श्रीकृष्ण ने यु​धिष्ठिर को रोका और उनके पैरों में गिरकर कहा कि यह काम उन्होंने ही अर्जुन से कराया है. श्रीकृष्ण ने अपने से ज्येष्ठ भ्राता युधिष्ठिर से क्षमा मांगी और उन्हें वन जाने से रोका. 

इसके बाद श्रीकृष्ण ने अगले दिन अर्जुन से कहा कि आज यानी युद्ध के 18वें दिन कर्ण का वध नहीं किया तो यह चिंता का विषय बन जाएगा. भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर मौका पाते ही अर्जुन ने श्रीकृष्ण का वध कर दिया. 

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)