Mar 7, 2024, 12:59 PM IST

महाभारत में अर्जुन के इन 7 गुणों को देख, युद्ध में सारथी बने थे श्रीकृष्ण 

Nitin Sharma

महाभारत के बड़े योद्धाओं में शामिल अर्जुन ताकतवर और बुद्धिमान होने के साथ भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रिय थे.

भगवान श्री कृष्ण ने ही अर्जुन को सही और गलत में अंतर करने में मदद की थी. 

महाभारत के उद्योग पर्व में भगवान श्रीकृष्ण ने सात ऐसे गुणों का वर्णन किया हैं, जो  अर्जुन के अलावा महाभारत के किसी भी पात्र में नहीं थे.

अर्जुन के यही 7 गुण महाभारत में कौरवों को हराकर उनकी जीतने की वजह बने थे. 

अर्जुन का बल और बुद्धि उन्हें सबसे अलग करती है. इसी के बल पर उन्होंने चतुर नीतियां बनाकर शत्रुओं को नाश किया था.

अर्जुन बेहद पराक्रमी थे. महाभारत के सभी पात्रों में अर्जुन केवल ऐसे योद्धा थे, जो किसी भी चुनौती या परेशानी का सामना करने में समर्थ थे. 

अर्जुन में पराक्रमा और बुद्धि के साथ ही तेज था, जो उन्हें बेहद प्रभावशाली और आकर्षित बनाता था. महाभारत में बताया गया है जितना तेज अर्जुन में था. उतना किसी में नहीं था.   

अर्जुन में शीघ्रकारिता का भी एक गुण था, जो  उन्हें सबसे अलग बनाता था. अर्जुन बहुत अच्छी तरह से जानते थे. वे किसी भी काम को करने में इतनी देर नहीं लगाते थे कि उसका महत्व ही खत्म हो जाये.

अर्जुन के बराबर या उनसे श्रेष्ठ धर्नुधारी कोई और नहीं था. वह बहुत ही एनर्जी और शक्ति के साथ बाण चलाते थे. 

श्रीकृष्ण ने स्वयं गीता उपदेश में अर्जुन को मोह-माया छोड़कर अपने कर्म को महत्व देने की बात सिखाई थी। जिसके बाद अर्जुन के अंदर विषादहीनता यानि किसी भी बाद से दुखी न होने का गुण आ गया था. 

अर्जुन में सबसे बड़ा गुण धैर्य था. यह गुण हर किसी में नहीं पाया जाता है. श्री कृष्ण ने भी कहा है कि जिस मुनष्य में धैर्य होता है. वह अपने आप ही महान बन जाता है.