महाभारत में कौरव और योद्धाओं के बीच कई ऐसे योद्धा थे, जो बेहद बलशाली थे.
इन्हीं योद्धाओं में से एक पांडवों के भाई अर्जुन पुत्र अभिमन्यु थे.
अर्जुन का बेटा अभिमन्यु भी महाभारत युद्ध के रणक्षेत्र में उतरा था. उस समय अभिमन्यु की उम्र महज 16 साल थी.
मात्र 16 साल की उम्र में ही अभिमन्यु कौरवों की सेना पर भारी पड़ा था, लेकिन अंत में वह वीरगति को प्राप्त हुआ.
श्रीकृष्ण की नीति के अनुसार, अर्जुन पुत्र अभिमन्यु को चक्रव्यूह भेदने का आदेश दिया गया, जबकि सभी को मालूम था कि उसे इससे निकलना नहीं आता है.
अभिमन्यु ने अपनी मां के गर्भ में चक्रव्यू भेदने का रास्ता तो सुना था, लेकिन उन्हें इससे निकलने का पता नहीं था.
युद्ध में पांडवों की सहमति पर अभिमन्यु चक्रव्यू में घुसकर चारों तरफ से घिर गया.
चक्रव्यू के दौरान अभिमन्यु की जयद्रथ सहित 7 योद्धाओं ने निर्मम हत्या कर दी.
अभिमन्यु की इस तरह से हत्या कर कौरवों ने युद्ध का नियम तोड़ा, बताया जाता है कि श्रीकृष्ण भी यही चाहते थे कि जब एक पक्ष युद्ध का नियम तोड़ दे और दूसरे पक्ष को ऐसा करने का मौका मिल जाये.