Jan 19, 2024, 11:25 AM IST

जानें माता सीता ने गाय,नदी, कौवे और पंडित को क्यों दिया था श्राप

Nitin Sharma

भगवान श्रीराम को जब राज्य सौंपने की तैयारी की जा रही थी. तभी उन्हें वनवास दे दिया गया. वनवास मिलते ही भगवान राम माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ वन में चले गये. 

राम को वनवास देने के बाद राजा दशरथ भगवान श्री राम और लक्ष्मण के वियोग में चले गये. इसी में उनकी मृत्यु हो गई.   

पिता के निधन की खबर सुनकर भगवान राम और उनके छोटे भाई लक्ष्मण को बहुत गहरी ठेस पहुंची.

दोनों भाई पिता का पिंडदान करने के लिए सामान एकत्र करने के निकल गये. पिंडदान का समय आने पर भी दोनों भाई वापस नहीं पहुंच पाये. 

श्री राम और लक्ष्मण के न आने और समय को देखते हुए माता सीता ने पूरे विधि.विधान से अपने ससुर राजा दशरथ जी का पिंडदान कर दिया. 

जब प्रभु राम और लक्ष्मण लौट कर आए तो उन्हें माता सीता ने पूरी बात बताई. माता सीता ने बताया कि मैंने  पंडित, कौवा, फल्गु नदी और गाय की उपस्थित में भगवान को साक्षी मानते हुए पिंडदान कर दिया. 

बताया जाता है कि जब श्री राम ने पंडित, कौवा, फल्गु नदी और गाय से पूछा तो उन्होंने झूठ बोलते हुए सीता के पिंडदान करते हुए देखने की बात से इंनकार कर दिया. इस बात पर भगवान श्री राम और लक्ष्मण माता सीता से नाराज हो गये. 

इस पर माता सीता गुस्सा हो गई. उन्होंने झूठ बोलने पर कौआ, गाय, पंडित और फल्गु नदी को श्राप दे दिया. 

माता सीता से पंडित को श्राप मिला कि पंडित को कितना भी मिलेगा. उसकी दरिद्रता कभी दूर नहीं होगी. उन्होंने कौवे को कहा कि उसका अकेले खाने से कभी पेट नहीं भरेगा और आकस्मिक मृत्यु होगी.