May 1, 2024, 07:58 AM IST
प्रेमानंद जी महाराज के विचार को लाखों लोग अपनाते हैं. वह जीवन जीने से जुड़ी धर्म की बातों को बताते हैं. उन्होंने भंडारे में मिलने वाले भोजन को लेकर भी कुछ बताया है.
अगर व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से लेकर भोजन करता है और कोई मेहनत नहीं करता है तो इससे सारा धार्मिक पुण्य दूसरे व्यक्ति को मिलता है.
गृहस्थ भेष में व्यक्ति को कभी भी भंडारे का भोजन नहीं खाना चाहिए. अगर आप विरक्त भेष में हैं यानी भोग विलास से दूर हैं तो खा सकते हैं.
प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि, इंसान भले ही घर में नमक रोटी खाएं या उपवास रखें लेकिन उसे मुफ्त का भोजन नहीं करना चाहिए.
आप बाहर जाते हैं तो कोई दूध बांट रहा है तो कोई हलवा बांट रहा है. आपको इसका सेवन नहीं करना चाहिए. लोग कहेंगे की प्रसाद हैं ले लीजिए. आप साधु-संत नहीं हैं तो इसका सेवन न करें.
व्यक्ति को भंडारा खाने की जगह यह सोचना चाहिए कि, वह खुद कमाकर 5 किलो हलवा बनाकर बाटें. इंसान को अपनी मेहनत से खाना चाहिए.
बता दें कि, अगर आप किसी तीर्थ पर जा रहे हैं तो कहीं भी मुफ्त का भोजन नहीं करना चाहिए. आप कहीं आश्रम में भोजन करते हैं तो अनुमान के हिसाब से दान जरूर करना चाहिए.