Jan 8, 2024, 03:38 PM IST

जानें गदाधर चट्टोपाध्याय से कैसे विवेकानंद के गुरु बने रामकृष्ण परमहंस

Nitin Sharma

गुरु रामकृष्ण परमहंस भारत के महान संत और आध्यात्मिक गुरुओं में से एक थे. उन्होंने बेहद छोटी उम्र में परमात्मा को पा लिया था.  रामकृष्ण परमहंस को भगवान विष्णु का अवतार माना जाता था. वह भगवान से सीधी बात करते थे.

रामकृष्ण परमहंस का जन्म 18 फरवरी 1836 में ​पश्चिम बंगाल के एक छोटे से गांव कामारपुकुर में हुआ था. वह माता काली के बड़े भक्त थे. 

गुरु रामकृष्ण परमहंस के गदाधर चट्टोपाध्याय नाम के पीछे एक आलौकिक कहानी है. बताया जाता है कि गदाधर के जन्म से पहले उनके पिता को सपना आया था, जिसमें उन्होंने देखा कि भगवान विष्णु उनके पुत्र गदाधर के रूप में जन्म लेंगे. 

इसके कुछ दिन बाद ही रामकृष्ण परमहंस की मां चंद्रमणि देवी को एक शिव मंदिर में पूजा करने के दौरान उनके गर्भ में एक दिव्य प्रकाश के प्रवेश करने का अनुभव हुआ.

इसके कुछ दिन बाद ही मां चंद्रमणि देवी ने अपने सबसे छोटे बेटे को जन्म दिया, जिसका नाम पिता ने श्रीकृष्ण पर गदाधर चट्टोपाध्याय रखा. प्यार से उन्हें रामकृष्ण पुकारा जाता था. 

बताया जाता है कि मात्र 6 साल की उम्र से ही गदाधर भगवान के नाम में डूबने लगे. वह अध्यात्मक के रास्ते पर चलने लगे. आध्यात्मिक रास्ते पर चलकर संसार के अस्तित्व संबंधी परमतत्व (परमात्मा) का ज्ञान प्राप्त कर लेने वाले को 'परमहंस' कहा जाता है. इसी के बाद गदाधर का पूरा नाम रामकृष्ण परमहंस पड़ा.

रामकृष्ण परमहंस ही स्वामी विवेकानंद जी के गुरु थे. उन्होंने ही स्वामी विवेकानंद जी को सही रास्ता दिखाया. उसी मार्ग पर चलकर स्वामी विवेकानंद परम ज्ञानी बनें.