Mar 31, 2024, 10:55 AM IST

श्रीकृष्ण या युधिष्ठिर, किसने किया था कर्ण का अंतिम संस्कार?

Kuldeep Panwar

महाभारत में यदि कौरव पक्ष के ऐसे योद्धाओं की बात की जाए, जिनका दुश्मन भी सम्मान करते थे तो भीष्म के बाद कर्ण का नाम लिया जाएगा.

कर्ण पांडवों के ही भाई थे, जिनका जन्म विवाह से पहले होने के कारण माता कुंती ने उन्हें नदी में बहा दिया था. उन्हें एक सारथी ने पाला था.

सबसे बड़े दानी कहलाने वाले कर्ण को अर्जुन से भी बड़ा धनुर्धर माना जाता है. लेकिन महाभारत युद्ध में अर्जुन के ही हाथों उनका वध हुआ था.

युद्धभूमि में कर्ण के रथ का पहिया एक शाप के कारण धरती में धंसने पर जब वह उसे निकालने लगे तो श्रीकृष्ण के आदेश पर अर्जुन ने तीर से उनका वध किया था.

हालांकि श्रीकृष्ण कर्ण का एक योद्धा के तौर पर बेहद सम्मान करते थे. दावा किया जाता है कि उन्होंने कर्ण को दिए वचन के कारण उनका अंतिम संस्कार किया था.

क्या आप जानते हैं कि कर्ण का अंतिम संस्कार किसने किया था?  सूरत के बराछा शहर के लोगों का दावा है कि भगवान श्रीकृष्ण ने ही कर्ण का अंतिम संस्कार यहां बाण की नोंक पर शव रखकर किया था.

कुछ लोग यह भी दावा करते हैं कि महाभारत के स्त्री पर्व में युद्ध के बाद युधिष्ठिर ने जो मारे गए योद्धाओं के सामूहिक दाह संस्कार का आदेश दिया था. कर्ण का शव भी उनमें ही शामिल था, जिसे स्वयं युधिष्ठिर ने कुंती के कहने पर अग्नि दी थी.

कहा जाता है कि युद्ध में अर्जुन के सारथी बने श्रीकृष्ण ने मौत से पहले कर्ण की दानवीरता की परीक्षा लेने को उनसे सोने का दांत दान में मांगा था.

कहा जाता है कि मौत की घड़ियां गिन रहे घायल कर्ण ने तत्काल अपना सोने का दांत तोड़कर श्रीकृष्ण को दान में दे दिया था. इससे श्रीकृष्ण बेहद प्रसन्न हो गए थे.

 मान्यता है कि श्रीकृष्ण ने मरते हुए कर्ण से दो वरदान मांगने को कहा तो कर्ण ने पहले वरदान में मांगा कि श्रीकृष्ण अगले जन्म में उसके राज्य में जन्म लें.

दावा है कि दूसरे वरदान में कर्ण ने श्रीकृष्ण से यह वचन मांगा था कि जिस इंसान ने जीवन में कभी पाप ना किया हो, वो मेरा अंतिम संस्कार उस जगह करे, जहां कभी पहले अंतिम संस्कार नहीं हुआ हो.

कहा जाता है कि कर्ण की मौत के बाद श्रीकृष्ण ने खुद कर्ण का अंतिम संस्कार सूरत के बराछा शहर में  किया था, क्योंकि वहां की एक इंच जमीन पर कभी किसी का अंतिम संस्कार नहीं हुआ था.

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