Dec 25, 2023, 09:56 AM IST

भगवान श्रीराम को भी मिला था श्राप, फलीभूत होते ही आ गया कलयुग

Nitin Sharma

त्रेतायुग से लेकर द्वापर तक श्राप लगने पर व्यक्ति को बुरे परिणाम भुगतने पड़ते थे. श्राप एक तरह से किसी को भी दुख पहुंचाने और आत्मा दुखाने पर उक्त व्यक्ति द्वारा दिया जाता था.

त्रेतायुग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को श्राप मिला था. यह श्राप उन्हें वनवास के दौरान मिला था. इसके फलीभूत होते ही युग का बदलाव हो गया था.

श्रीराम को श्राप की बात बहुत कम ही ग्रथों में बताई गई है. आइए जानते हैं आखिरी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी को किसने और क्यों श्राप दिया था. 

दरअसल त्रेतायुग में भगवान श्रीराम को श्राप किष्किन्धाकाण्ड के दौरान मिला था. यह रामायण का वह हिस्सा है, जिसमें भगवान श्री राम की मुलाकात अपने परमभक्त हनुमान जी से हुई थी. यही पर श्रीराम को सुग्रीव मिले थे.

सुग्रीव श्रीराम की शरण में आये और उन्होंने बताया कि कैसे उनका बड़ा भाई बाली उन पर अत्याचार करता है. उन्हें अपने राज्य से बाहर कर देना चाहता है.  

सुग्रीव ने भगवान से मदद मांगी थी. इस दौरान श्री राम ने बाली के सामने सुग्रीव को भेजा और छिपकर बाली पर तीर चला दिया. इससे बाली का निधन हो गया.

बाली जब मृत्यु शय्या तड़प रहा तो उसने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम से पूछा कि आपने छिपकर वार क्यों किया. इस पर श्रीराम ने बताया कि यह प्रदेश अयोध्या के राज्य में आता है. यहां अन्याय करने वाले को दंड देने का अधिकार राजा को है.

पति बाली की मृत्यु से दुखी हुई उनकी पत्नी तारा ने श्री राम से छिपकर तीर चलाने का कारण पूछा, श्री राम के बताने पर भी वह संतुष्ट नहीं हुई. उसने विलाप करते हुए श्री राम को श्राप दिया कि जिस तरह आप ने मेरे पति के छिपकर प्राण लिए हैं. इसी तरह एक दिन आपकी भी मृत्यु होगी.

श्रीराम ने तारा का श्राप स्वीकार किया और कहा कि यह अगले जन्म में फलीभूत होगा. अगला जन्म श्री राम ने द्वापर में श्री कृष्ण के रूप में लिया. 

द्वापर में तमाम ​लीलाओं को रचने के बाद एक दिन श्रीकृष्ण जंगल में आराम कर रहे थे. तभी एक भील ने छिपकर श्रीकृष्ण पर तीर चला दिया. तीर श्रीकृष्ण के पैर में आकर लगा. इस तरह से बाली की पत्नी का श्राप फलीभूत हो गया. कथाओं में बताया जाता है कि तीर चलाने वाला भील बाली का ही अवतार था.

श्री कुष्ण तीर लगने के बाद गोलोक चले गये. कथाओं बताया जाता है कि इसी के बाद कलयुग प्रभावी हो गया. साथ ही रानी तारा के श्राप से युग परिवर्तन फलीभूत हुआ.