आज आपको महाभारत के उन 3 श्राप के बारे में बताएंगे जिसका प्रभाव आज भी धरती पर नजर आता है.
महाभारत में ये श्राप क्यों और किसने दिया था, चलिए विस्तार से जानें.
अभिमन्यु के बेटे राजा परीक्षित के कर्मों से नाराज होकर ऋषि श्रृंगी ने श्राप दिया जिसके फल स्वरूप कलयुग का आगमन हुआ था.
महाभारत के युद्ध के दौरान अश्वत्थामा ने पांडव पुत्रों का धोखे से रात को सोते समय वध कर दिया था.
तब अश्वत्थामा ने पीछा कर रहे अर्जुन पर ब्रह्मास्त्र चला दिया था तब अर्जुन ने भी अपना ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया. महर्षि व्यास ने इन दोनों बह्मास्त्रों को टकराने से रोक लिया.
अर्जुन ने तो अपना ब्रम्हास्त्र वापस ले लिया लेकिन अश्वस्थामा को इसे लेने का मंत्र नहीं पता था और उसने अस्त्र की दिशा बदलकर अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ की ओर कर दी.
इससे भगवान श्रीकृष्ण क्रोधित होकर अश्वत्थामा को श्राप दिया कि तुम तीन हजार वर्ष तक इस पृथ्वी पर भटकते रहोगे.
अश्वस्थामा के शिव मंदिर में सबसे पहले पूजा करने के किस्से आज भी सुने जाते हैं.
हाभारत का युद्ध समाप्त होने के बाद माता कुंती ने पांडवों को यह रहस्य बताया की कर्ण उनका बड़ा भाई था. यह जानकर पांडव दुखी हो जाते हैं.
युधिष्ठिर विधि-विधान से कर्ण का अंतिम संस्कार करते हैं और उसी क्षण उन्होंने समस्त स्त्री जाति को यह श्राप दे देते हैं कि कोई भी महिला कोई बात छिपा कर नहीं रख सकेगी.
कहते हैं इस श्राप के कारण ही महिलाएं राज की बातें भी मन में दबा कर नहीं रख पाती हैं.