Dec 16, 2023, 11:55 PM IST

इस रहस्यमयी मंदिर में है शिवजी के वासुकी नाग की मणि

Kuldeep Panwar

देश में कई अनूठे और रहस्यमयी मंदिर मौजूद हैं. इनमे उत्तराखंड का लाटू देवता मंदिर भी है, जहां नागमणि रखी है, जिसकी पूजा होती है. मान्यता है कि यह मणि भगवान शंकर के गले में लिपटे वासुकी नाग की है.

लाटू देवता का यह रहस्यमयी मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में है. जिले के देवाल ब्लॉक में वाण गांव में मौजूद लाटू देवता मंदिर को सिद्ध पीठ माना जाता है.

स्थानीय मान्यताओं में लाटू देवता को नंदा देवी यानी पार्वती माता का धर्म भाई माना गया है. यह मान्यता है कि मंदिर में मौजूद नागमणि की रक्षा खुद नागराज वासुकी करते हैं.

यह ऐसा अनूठा मंदिर है, जिसमें भगवान के दर्शन भक्त तो क्या खुद पुजारी को भी नहीं मिलते. पुजारी को भी आंख, नाक और मुंह पर पट्टी बांधकर देवता की पूजा करनी पड़ती है.

मान्यता है कि वासुकी नाग में समुद्र मंथन से निकले हलाहल विष का अंश है, जिसे भगवान शंकर ने गले में धारण कर लिया था. इस विष और नागमणि की शक्ति आम आदमी सहन नहीं कर सकता.

इस मान्यता के कारण ही श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में मुख्य भवन से 70-75 फीट दूरी पर रहकर भगवान को याद करते हुए अपनी पूजा अर्चना करनी पड़ती है.

पुजारी की आंखों पर पट्टी के साथ ही नाक, मुंह पर पट्टी लगाने के पीछे भी यही मान्यता है. माना जाता है कि नागराज का महान रूप व मणि की तेज रोशनी पुजारी को अंधा बना सकती है.

साथ ही नागराज के विष की गंध पुजारी के नाक-मुंह के रास्ते शरीर के अंदर जाकर उनकी मौत का कारण बन सकती हैं. इसलिए साल में महज एक दिन पुजारी लाटू देवता की पूजा करते हैं.

इस अनूठे मंदिर के द्वार पूरे साल में महज एक दिन वैशाख माह की पूर्णिमा के दिन पुजारी पट्टी बांधकर कपाट खोलते हैं और श्रद्धालु परिसर के किनारे पर आकर पूजा करते हैं.

मंदिर के कपाट खुलने पर यहां विष्णु सहस्रनाम और भगवती चंडिका पाठ का आयोजन किया जाता है और मेले का भी आयोजन किया जाता है.

लाटू देवता का मंदिर हर 12 साल में होने वाली उत्तराखंड की सबसे लंबी पैदल यात्रा श्रीनंदा देवी राज जात का 12वां पड़ाव है. डोली के यहां पहुंचने पर लाटू देवता हेमकुंड तक अपनी बहन नंदा देवी की अगवानी करते हैं.

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