रावण का असली नाम कुछ और था, रावण के पिता ऋषि विश्रावा ने अपने बेटे का नाम कुछ और ही रखा था.
रावण को ये नाम कैसे मिला और इसके पीछे क्या कथा है जान लें.
वाल्मीकि रामायण के अनुसार ब्रह्माजी से मिले वरदान के घमंड में चूर लंका के राजा ने भगवान शिव के कैलाश पर आक्रमण कर दिया था.
कैलाश पहुंचकर रावण सबसे पहले कुबेर को पराजित करता है. इसके बाद जब वह कैलाश के आसपास घूम रहा होता है तो ...
नंदी बैल उसे कैलाश छोड़ने के लिए कहता है, क्योंकि यह भगवान शिव का है.
तब लंकेश्वर कहते हैं, 'शिव कौन हैं, कहां से हैं?' तुम मुझे रोकने वाले कौन हो? अब तुम्हारे शिव भी देखेंगे कि मैं कौन हूं. मैं स्वयं इस पर्वत को उठा लूंगा.
तब लंकेश्वर अपने दोनों हाथों से कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास करते हैं. तब भगवान शिव ने अपने पैर के अंगूठे कैलाश में दबा दिए, जिससे रावण के दोनों हाथ पर्वत के नीचे बुरी तरह कुचल गए.
दशानन के हाथ दबाने पर वह जोर-जोर से रोने लगता है. और रक्षा के लिए ही शिव तांडव की रचना की थी.
भगवान शिव भी रावण को क्षमा कर देते हैं और उसे आशीर्वाद देते हैं कि आज से वह रावण के नाम से जाना जाएगा. तब से रावण शिव का भक्त बन जाता है.
रावण का वास्तविक असल मे नाम दशग्रीव था.
Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.