Jan 9, 2024, 07:58 PM IST

भगवान राम की दुल्हन बनकर कब अयोध्या पहुंचीं थीं सीताजी

Rahish Khan

पौराणिक कहानियों में बताया गया कि मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्रीराम और सीताजी का विवाह जनकपुर में हुआ था.

मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर दोनों ने विवाह किया था. इस दिन को अब विवाह पंचमी के रूप में मनाया जाता है.

त्रेता युग में जब दोनों का विवाह हुआ तो उसी रात भगवान श्री राम के मन में विचार आया कि अयोध्या में सीता के लिए एक सुंदर महल होना चाहिए. 

श्रीराम के मन में जब यह विचार आया, उसी क्षण अयोध्या की रानी कैकेयी को भी स्वप्न में एक भव्य महल दिखाई दिया.

रानी कैकेयी ने इस स्वप्न के बारे में राजा दशरथ को बताया और वैसा ही महल बनवाने का अनुरोध किया. 

राजा दशरथ ने भी कैकेयी के आग्रह पर कनक भवन का निर्माण देवताओं के शिल्पकार विश्वकर्मा जी की देखरेख में करा दिया.

पंचमी तिथि के दिन जब जनक नंदनी वैदेही माता सीता भगवान राम के साथ विवाह करके अयोध्या आईं तो कैकयी उन्हें देखकर बहुत प्रसन्न हुईं.

मन को मोह लेने वाले सीताजी के सुंदर स्वरूप को देखकर कैकयी मोहित हो गईं. 

कैकयी ने अपना स्नेह व्यक्त करते हुए नववधु देवी सीता को मुंह दिखाई में अयोध्या में बनाए गया कनक भवन उपहार में दिया.

डिस्क्लेमर- यहा दी गई सभी जानकारियां पौराणिक कताओं और धर्मग्रंथों पर आधारित हैं. dnaindia.com इन बातों की पुष्टि नहीं करता है.