Oct 6, 2024, 04:49 PM IST

क्रोधित देवी सीता ने दिए थे कौन से 4 श्राप और किसे

Ritu Singh

राजा दशरथ की मृत्यु तब हुई जब राम, लक्ष्मण और सीता वनवास में थे.

यही वो मौका था जब सीता ने पहली और आखिरी बार 4 लोगों को श्राप दिया था. इसलिये वे सब आज तक शापित हैं.

सीता ने फल्गु नदी के तट पर विलाप कर रहे राम और लक्ष्मण से कहा, रघुनंदन, नदी के तट पर अपना दाह संस्कार करना चाहिए. भाइयों ने खुद को संभाला और सामान इकट्ठा करने निकल पड़े.

कई घंटे बीत गए. कोई भाई नहीं लौटा. समय ख़त्म होता जा रहा था. सीता की आँखें सूर्य की गति देख रही थीं. दोपहर ख़त्म होने को थी. सूरज उग रहा था. जल्दी ही शाम हो जायेगी. शाम हो जाती तो अनुष्ठान का समय निकल जाता.

ऐसे में सीता ने निर्णय लिया कि वह अपने पास मौजूद सामग्री से ही यह अनुष्ठान कर दिया.

इस अनुष्ठान के ये पांच साक्षी फल्गु नदी, अग्नि, गाय, वट और केतकी के फूल थे. 

जब राम और लक्ष्मण वापस आये तो लगभग शाम हो चुकी थी. जब सीता ने उसे बताया कि उसने अंतिम संस्कार किया है, तो उसे उस पर विश्वास नहीं हुआ.

दोनों भाइयों को आश्चर्य हुआ कि सामग्री के अभाव में इतने सीमित संसाधनों में अंतिम संस्कार कैसे किया जा सकता है. तब सीता ने कहा, "मेरे पास पाँच गवाह हैं

राम ने पूछा, "हे पूजनीय फल्गु, मुझे बताओ, क्या सीता ने अनुष्ठान पूरा किया? नहीं, मैं नहीं हूं" उत्तर था. सीता निःशब्द हैं. फिर गाय से पूछा. उन्होंने भी साफ इंकार कर दिया. 

अब केतकी की बारी थी, वहां से भी साफ इनकार कर दिया गया. सीता अब धैर्य खोने लगी थी.

कम से कम उसे विश्वास था कि अग्नि उसका समर्थन करेगी, लेकिन जब उसने भी इनकार कर दिया, तो सीता सचमुच अंदर ही अंदर चिल्ला उठी. अब केवल बरगद का पेड़ ही बचा है.

 राम ने उनसे वही प्रश्न पूछा, "बताओ आदरणीय बान्या, क्या मेरी पत्नी ने अनुष्ठान पूरा कर लिया है? हाँ, हो गया" उत्तर था. बिलकुल किया.  

 अब जब सीता को कुछ सहारा मिला तो उन्होंने अपने पति से पूछा, “क्या अब आपको मुझ पर भरोसा है?

तब केतकी ने फूल, फल्गु नदी, गाय और अग्नि को श्राप दे दिया. केतकी के फूल की पूजा नहीं होगी.  

गाय को श्राप दिया,तुम बचे हुए भोजन पर जीवित रहोगी. फल्गु नदी को शाप दिया कि तुम सूखी ही रहोगी,  

सीता जी ने बरगद के पेड़ को अमरत्व आशीर्वाद दिया. तुम हमेशा मूल्यवान रहोगे. तुम पवित्र समझे जाओगे. 

देवी के इन श्रापों का स्थाई प्रभाव आज भी सभी पर है.