सरयूपारीण ब्राह्मण कौन हैं? श्रीराम के हाथों से भोजन करने से क्यों किया था इंकार?
Ritu Singh
एक किंवदंती के अनुसार, सरयूपारीण ब्राह्मणों नें भागवान राम के लंका से अयोध्या लौटने के बाद किए गए अश्वमेध यज्ञ का भोजन करने से इंकार कर दिया था.
रामायण काल में ब्राह्मण एक ही थे लेकिन रावण के वध के बाद ये 2 फाड़ हो गए थे.
एक सरयूपारीण ब्राह्मण बने और दूसरे कान्यकुब्ज ब्राह्मण कहे गए.
आखिर सरयूपारीण ब्राह्मणों ने भगवान राम के कराए यज्ञ का भोजन करने से क्यों मना किया था या क्या उनसे बैर था, चलिए जानें.
सरयूपारीण ब्राह्मणों का मानना था कि राम ने रावण को मारकर ब्रह्महत्या की थी, इसलिए वे उनके द्वारा कराए गए यज्ञ में भोजन स्वीकार करने से इनकार कर रहे थे.
लेकिन वहीं कुछ ब्राह्मणों ने यज्ञ का भोजन स्वीकार्य किया था क्योंकि रावण एक राक्षस था और उसके कर्म ब्राह्मण के नहीं थे.
भगवान श्रीराम ने लंका विजय के बाद कान्यकुब्ज ब्राह्मणों से यज्ञ करवाकर या लेकिन जो ब्राह्मण यज्ञ में शामिल नहीं हुए उन्हें ...
भगवान राम ने सरयू के पार ठहरने का स्थान दिया था, इसलिए उन्हें सरयूपारीण ब्राह्मण कहा जाता है.
सरयूपारीण ब्राह्मण वर्ग में शुक्ल, त्रिपाठी, मिश्र, पाण्डेय, पाठक, उपाध्याय, चतुर्वेदी और ओझा ब्राह्मण होते हैं.
Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.