Dec 29, 2023, 03:16 PM IST

प्रभु श्रीराम को 'राम' नाम कैसे मिला

Kuldeep Panwar

प्रभु श्रीराम की जन्मभूमि में राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा होने वाली है. रामलला सदियों बाद पक्की छत के नीचे विराजेंगे. इस मौके को ऐतिहासिक बनाने की कोशिश हो रही है.

प्रभु श्रीराम के नाम में बेहद ताकत होने की बात कई ऋषि-मुनियों ने कही है. सभी ऋषि-मुनि रोजाना राम का नाम जपने से सभी तरह के कष्ट दूर होने की बात कहते हैं.

प्रभु राम को भगवान विष्णु का 7वां अवतार माना जाता है. इसके बावजूद कहा जाता है कि एक बार राम का नाम लेने से विष्णु के 1,000 नामों को जपने के बराबर पुण्य मिलता है.

विष्णु सहस्त्रनाम में दिए गए भगवान श्रीहरि के 1,000 नाम बताए गए हैं. इन 1,000 नाम में 394वां नाम 'राम' है. यह नाम बेहद विशेष माना जाता है.

क्या आप जानते हैं कि प्रभु श्रीराम को अयोध्या में जन्म लेने के बाद यह नाम किसने दिया था? यदि आप ये बात नहीं जानते हैं तो चलिए आज हम आपको यह राज बताते हैं.

रामायण के मुताबिक, अयोध्या में राजा दशरथ के घर ज्येष्ठ यानी सबसे बड़े पुत्र का जन्म होने पर महर्षि वशिष्ठ को उनके नामकरण के लिए बुलाया गया था.

महर्षि वशिष्ठ ने उनके लिए 'राम' नाम एक विशेष कारण से चुना था. दरअसल राम नाम दो बीजाणुओं से मिलकर बना है. 

राम नाम में 'र' का अर्थ प्रकाश और 'म' का अर्थ विशेष है. इस हिसाब से यदि आप देखेंगे तो 'राम' नाम का अर्थ है अंदर का विशेष और साक्षात प्रकाश.

राम नाम को इसी कारण सभी विष्णु सहस्त्रनाम के बराबर माना जाता है, क्योंकि महज दो अक्षरों के इस नाम का अर्थ बताता है कि हमारी आत्मा और हृदय का प्रकाश प्रभु राम ही हैं.