नगरवधुओं का नाम क्सर नकारात्मक रूप में चित्रित किया गया है, लेकिन ये सच से परे है.
यह गलत धारणा है कि नगरवधुएं देह व्यापार के लिए प्राचीन समय में नहीं बनाई जाती थीं, उनका उद्देश्य अलग होता था.
क्या आपने नगरवधु अम्रपाली का नाम सुना है. जिसे कला, सौंदर्य और ज्ञान की देवी का दर्जा मिला था.
चलिए जानें नगरवधु कौन होती थीं और उनका काम क्या था. साथ ही सबसे नामी नगरवधु अम्रपाली कौन थी.
नगरवधु अपने समुदाय की एक ऐसी महिला थीं जिन्हें कला, संस्कृति और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट माना जाता था. वह कोई साधारण महिला नहीं थी
नगरवधुओं का विवाह नहीं होता. उन्हें समाज की सबसे मूल्यवान संपत्ति माना जाता था.
उन दिनों शहर की सभी सुंदर लड़कियों को एक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए कहा जाता था और जो लड़की इस प्रतियोगिता को जीतती थी उसे नगरवधू कहा जाता था.
बौद्ध धर्मग्रंथ जिनचरित में हमें आम्रपाली का उल्लेख मिलता है. आम्रपाली वैशाली गणराज्य की एक गणिका थी. वह अत्यंत सुन्दर, बुद्धिमान और नृत्य कला में निपुण थी.
भगवान बुद्ध स्वयं आम्रपाली के आम के बगीचे में रुके थे. बाद में, बुद्ध से प्रभावित होकर आम्रपाली भिक्षुणी बन गयी. उन दिनों नगरवधुओं को वेश्या नहीं माना जाता था. उन्हें कला की देवी माना जाता था.