Jul 18, 2024, 03:37 PM IST
महाभारत के विराट पर्व में पांडवों के अज्ञातवास और विराट युद्ध का वर्णन मिलता है, जिसका मुख्य उद्देश्य गौधन की रक्षा करना था.
एक कथा के अनुसार कीचक-वध के बाद सुशर्मा और कौरव सेना ने मिलकर विराट नगर पर हमला कर उनकी गायें चुरा ली थीं.
युद्ध व्युह में फंसकर विराट नरेश और चारों पाण्डव सुशर्मा से युद्ध कर रहे थे, तभी कौरव सेना ने भी विराट नगर पर हमला कर दिया था.
ऐसे में अर्जुन ने बृहन्नलला का रूप त्यागकर अपना गांडीव उठाया और राजकुमार उत्तर को सारथी बना कर अकेले ही कौरव सेना से युद्ध करने निकल पड़े.
अर्जुन ने कौरवों से अपमान का बदला लिया और एक-एक करके अकेले ही सभी कौरव योद्धाओं को रणभूमि छोड़ने पर मजबूर कर दिया.
महाभारत कथा के अनुसार विराट युद्ध से पहले अर्जुन ने पितामह भीष्म ,गुरु द्रोण और कुल गुरु कृपाचार्य को प्रणाम किया था.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.
इस युद्ध में अर्जुन ने अद्भुत पराक्रम का प्रदर्शन करते हुए कौरव वीरों को अकेले दम पर बार बार परास्त किया.