Jun 4, 2025, 08:51 AM IST

केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी क्यों केरल के ब्राह्मण ही बनते हैं?

Ritu Singh

केदारनाथ की यात्रा 30 अप्रैल से शुरू होने जा रही है. 

इस मौके पर चलिए जानें क्यों केवल साउथ के ब्राह्मण ही केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी बनते हैं.

केदारनाथ सन्निधान जितना विशेष है, यहां किया जाने वाला प्रत्येक अनुष्ठान भी उतना ही विशेष है.

केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी का चयन रावल समुदाय से ही किया जाता है. 

रावल समुदाय के लोग 10वीं शताब्दी से कन्नड़ में प्राचीन अनुष्ठानों और मंत्रों का अभ्यास और पाठ करते आ रहे हैं.

दिलचस्प बात यह है कि मुख्य पुजारी अनुष्ठान नहीं करवाते, बल्कि मुख्य पुजारी यहां सहायकों की नियुक्ति करते हैं. 

 मंदिर के पांच मुख्य पुजारी बारी-बारी से मुख्य पद पर आसीन होते हैं. 

केदारनाथ मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान करने के लिए केरल से नंबूदरी ब्राह्मण पुजारियों को विशेष रूप से चुना जाता है .

ऐसा कहा जाता है कि इस प्रथा की शुरुआत आदि शंकराचार्य ने की थी. केदारनाथ में शिवलिंग की पूजा दक्षिण भारतीय पुजारी, रावल और स्थानीय जमलोकी ब्राह्मण मिलकर करते हैं.

ऐसा कहा जाता है कि रावल परंपरा से संबंधित एक पुजारी हर दिन केदारनाथ और बद्रीनाथ मंदिरों में आते थे और 

कुछ अनुष्ठान करते थे. इससे इन मंदिरों के प्रति रावल पुजारियों की प्रबल धार्मिक लगाव और भक्ति पर बल पड़ने लगा और तब से केरल के नंबूदरी ब्राह्मणों को केदारनाथ के मुख्य पुजारी के रूप में चुना जाने लगा.

केदारनाथ मंदिर 12वीं शताब्दी के आसपास एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल था. और तभी से ये परंपरा चली आ रही है जो आज भी कायम है.