Jul 29, 2024, 08:46 PM IST

अर्जुन का वध अपने ही पुत्र ने क्यों किया?

Abhay Sharma

द्वापर युग में महाभारत का युद्ध लड़ा गया, जिसे कुरुक्षेत्र का युद्ध भी कहा जाता है. यह युद्ध धर्म की रक्षा के लिए  कौरवों और पांडवों के बीच हुआ था. 

युद्ध में श्रीकृष्ण ने अर्जुन के रथ के सारथी बने और पांडवों की सहायता कर इस युद्ध में जीत दिलाई. लेकिन महाभारत युद्ध के बाद एक ऐसा युद्ध भी हुआ...

जिसमें अर्जुन को हार मिली और इस युद्ध में अर्जुन की मृत्यु भी हो गई, लेकिन अपनी बाद में अर्जुन को फिर से जीवनदान मिला.  

अर्जुन का युद्ध बभ्रुवाहन से हुआ था, जो मणिपुर का राजा था और अर्जुन का ही पुत्र था. युद्ध में बभ्रुवाहन ने अपने पिता अर्जुन की हरा दिया था.

दरअसल जब महाभारत युद्ध समाप्त हुआ तो पांडवों ने अश्वमेध यज्ञ किया, इस यज्ञ के घोड़े के साथ उसकी रक्षा के लिए अर्जुन भी पीछे-पीछे चल पड़े.

 यज्ञ का घोड़ा गया जिस राज्य में गया वहां के राजाओं ने पांडवों की अधीनता स्वीकार कर लिया, लेकिन बभ्रुवाहन ने यह स्वीकार नहीं किया.

कथाओं के अनुसार बभ्रुवाहन अपने पिता से युद्ध नहीं करना चाहता था, लेकिन घोड़े की रक्षा करते हुए जब अर्जुन मणिपुर पहुंचे तो बभ्रुवाहन से युद्ध लड़ने को कहा.

बभ्रुवाहन उस समय युवक ही था और अपने बाल स्वभाव के कारण बिना कुछ सोचे अर्जुन पर बाण चला दिया और अर्जुन बेहोश होकर धरती पर गिर पड़े.

जिसके बाद नागकन्या उलूपी ने संजीवन मणि देकर अर्जुन को फिर से जीवित किया, इससे अर्जुन को वासुओं के एक श्राप से भी मुक्ति मिली.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.