सावन के महीने में लड़कियां शिव जैसा पति पाने के लिए व्रत रखती हैं. अब सवाल ये है कि लड़कियों को भोलेनाथ ही क्यों पति के रूप में चाहिए? आइए जानते हैं इसकी वजह...
भगवान कृष्ण गोपियों को छेड़ने के चलते 'छलिया' कहलाए. वे पत्नीव्रता तो हैं, लेकिन उनका आकर्षण कई महिलाओं के बीच बंटा हुआ है.
भगवान राम के मर्यादापुरुषोत्तम होने के बावजूद माता सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी. एक शिव ही ऐसे हैं जो सती से बिछड़ने पर तांडव कर बैठते हैं.
भगवान शिव का सारा प्रेम माता पार्वती के लिए है. भोलेनाथ के हृदय में पार्वती के अलावा और कोई नहीं आता. भगवान अपनी पत्नी के फैसलों का सम्मान करते हैं.
भोलेनाथ ने वैरागी का जीवन जीया, लेकिन माता पार्वती उनके जीवन में आईं तो उनसे बड़ा प्रेमी कोई नहीं हो पाया.
भगवान शिव के अपमान से दुखी होकर माता सती ने जब राजा दक्ष के यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपनी जान दे दी थी. तब शिव जी ने वियोग में आकर मां पार्वती की मृत देह लेकर भटकते रहे.
शास्त्रों के अनुसार, तब श्री कृष्ण ने अपने चक्र से माता पार्वती के देह के 108 टुकड़े कर दिए. तब शिवजी की तंद्रा भंग हुई. इसके बाद शिव हमेशा के लिए तपस्या में लीन हो गए.
सती के जाने के बाद भोलेनाथ ने कभी दूसरा विवाह नहीं किया. माता सती ने देह त्यागने के बाद दूसरा जन्म लिया. राजा हिमावान के यहां वे पार्वती नाम से जन्मीं.
पार्वती ने शिव को पाने के लिए तपस्या की. जब शिव को यह भरोसा हो गया कि पार्वती ही सती हैं तब उन्होंने उनसे विवाह किया.