भारत में एक ऐसा धर्म है जिसमें साधु दीक्षा लेने के बाद कभी दोबारा स्नान नहीं करते.
जी हां ये धर्म ऐसा है जिसमें साधुओं को बहुत कठिन नियमों का पालन करना होता है.
दोनों संप्रदायों के भिक्षु और भिक्षुणी दीक्षा के बाद कठोर जीवन व्यतीत करते हैं. किसी भी प्रकार के भौतिक एवं सुविधाजनक संसाधनों का उपयोग न करें.
श्वेताम्बर साधु-साध्वियां अपने शरीर पर केवल पतला सूती कपड़ा पहनते हैं. दीक्षा के बाद वह स्नान क्यों नहीं करते?
दिगम्बर साधु वस्त्र नहीं पहनते. हालाँकि, जैन साध्वियां साड़ी जैसे सफेद वस्त्र पहनती हैं. वे कड़ाके की ठंड में इस प्रकार के कपड़े पहनना पसंद करते हैं.
दिगम्बर साधु ठंडे स्थानों पर भी कोई वस्त्र नहीं पहनते. श्वेताम्बर साधु-साध्वियां अपने साथ केवल 14 चीजें रखते हैं. जिसमें एक पतली शीट शामिल है जो बहुत पतली होती है.
जैन साधु-साध्वियां दीक्षा के बाद कभी स्नान नहीं करते. ऐसा माना जाता है कि यदि वे नहाएंगे तो सूक्ष्मजीवों का जीवन खतरे में पड़ जाएगा.
इस कारण वे नहाते नहीं है और हमेशा मुंह पर कपड़ा रखता है ताकि मुंह के जरिए कोई सूक्ष्मजीव शरीर में प्रवेश न कर जाए.
(Disclaimer: हमारा लेख केवल सामान्य रीति-रिवाज और जानकारी पर आधारित है, डीएनए हिंदी इसकी पुष्टी नहीं करता है. .)