104, 106 नहीं बल्कि 108 मनके की ही क्यों होती है माला? क्या आप ब्रह्मांड के विज्ञान, ज्योतिष और गणित को जानते हैं जो आस्था से परे है?
गुणी और संस्कारी लड़का मिल जाए तो लड़की की लाइफ सेट हो जाती है.
यह संख्या महज संयोग नहीं है, बल्कि इसके पीछे रहस्यमय, धार्मिक, ज्योतिषीय और वैज्ञानिक कारण छिपे हैं. आइये इसके पीछे के कारणों और गणित को समझें.
शास्त्रीय मान्यता के अनुसार, संख्या 108 सूर्य की कलाओं से जुड़ी है. सूर्य एक वर्ष में लगभग 2,16,000 बार अपनी स्थिति बदलता है.
हर दामाद को अपने परिवार के साथ लड़की के घर वालों की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
सूर्य को प्रकाश, ऊर्जा और जीवन का प्रतीक माना जाता है, इसलिए संख्या 108 को देवत्व से जोड़ा जाता है.
ज्योतिष में 12 राशियाँ और 9 ग्रह हैं. इन दोनों को गुणा करने पर 108 अंक प्राप्त होता है. ऊर्जा से जुड़ने, आत्मशुद्धि और ध्यान के लिए इस अंक का उपयोग अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है.
मानव शरीर प्रतिदिन लगभग 21,600 बार सांस लेता है. धार्मिक दृष्टि से, शास्त्रों में सुबह और शाम की पूजा के लिए हर 12 घंटे में 10,800 बार ईश्वर को याद करने को कहा गया है. लेकिन ...
वास्तविकता में यह संभव नहीं था, इसलिए अंतिम 3 शून्य हटा दिए गए और 108 बार जप की परंपरा शुरू हुई.
ज्योतिष के अनुसार आकाश में 27 नक्षत्र हैं और प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण होते हैं. 27 × 4 = 108 कदम. इसलिए, माला का प्रत्येक मनका एक कदम का प्रतीक माना जाता है. इस माला का जप करते समय हम 108 शक्तियों का स्मरण करते हैं जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड का प्रतिनिधित्व करती हैं.
ध्यान, जप, प्राणायाम या आध्यात्मिक प्रक्रिया में, संख्या 108 को शरीर, ब्रह्मांड और आत्मा को जोड़ने वाला सेतु माना जाता है. यह संख्या संतुलन, पूर्णता और जागरूकता का प्रतीक है.