Jul 2, 2024, 12:46 PM IST
मजार पर क्यों रोकी जाती है प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा?
Ritu Singh
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा आषाढ़ महीने की शुक्ल की द्वितीया तिथि पर ओडिशा के पुरी शहर में निकाली जाती है.
इस बार रथ यात्रा की शुरुआत 7 जुलाई से होगी. इस दौरान भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ अलग-अलग रथों से नगर भ्रमण करते हैं.
इस नगर भ्रमण के दौरना प्रभु के रथ को एक मजार पर भी रोका जाता है और ये परंपर सदियों से चली आ रही है.
इसके पीछे एक लोककथा है कि भगवान जगन्नाथ जी का एक भक्त मुस्लिम था जिसका नाम सालबेग था.
एक बार वह प्रभु के मंदिर जाकर रथयात्रा में शामिल होना चाहता था लेकिन उसे गैर हिंदू होने के कारण भगवान के दर्शन नहीं मिले.
प्रभु जगन्नाथ के दर्शन पाने की आस में ही उसकी मृत्यु हो गई, लेकिन जब उसके घर के रास्ते से जब यात्रा निकलने लगी तो अचानक से रथ के पहिए रुक गए.
लोगों ने बहुत कोशिश की, लेकिन रथ मजार के सामने से नहीं हिला.इसके पश्चात लोगों ने भगवान जगन्नाथ से सालबेग की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की.
तब रथ अपने आप चल पड़ा. तभी से जब भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा निकलती है, तो कुछ समय के लिए मजार के सामने रथ को रोक दिया जाता है.
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