मरने पर ही क्यों पढ़ा जाता है गरुड़ पुराण, जानिए आम दिनों में न पढ़ें जाने की वजह
Nitin Sharma
सनातन धर्म कई ग्रंथ हैं, इन्हीं में से एक गरुड़ पुराण है. इसे विष्णु पुराण भी कहा जाता है.
इस पुराण मृत्यु के बाद स्थिति के विषय में वर्णन किया गया है. व्यक्ति के अच्छे और बुरे कर्मों से मिलने वाले फल के विषय में विस्तार से जानकारी दी गई है.
गरुड़ पुराण का पाठ आमतौर पर परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु के बाद ही किया जाता है. इससे आत्मा को मोक्ष मिलता है.
इसे मृत्यु के बाद 13 दिनों तक में खत्म करना होता है. इसकी वजह 13 दिनों तक मृतक की आत्मा घर में ही रहना है.
वहीं कुछ लोगों का सवाल होता है कि आखिर गरुड़ पुराण का पाठ मौत के बाद ही क्यों किया जाता है. आइए जानते हैं इसकी वजह
हिंदू धर्म में 18 महापुराणों में शामिल गरुड़ पुराण को मृत्यु के बाद पढ़ने की ही मान्यता है. इससे व्यक्ति को सद्गति प्राप्त होती है.
कथाओं के अनुसार, अकाल मृत्यु के बाद आत्मा भटकती है. उनकी सद्गति के लिए गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है.
हिंदू धर्म में गरुड़ पुराण को मौत के बाद पढ़ने की परंपरा बना गई है. आम लोग इसका पाठ नहीं कर सकते हैं. कहते हैं कि इसके जाप के दौरान आत्मा खुद मौजूद होती है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.)