भगवान विष्णु के छठवें अवतार माने गए परशुराम 7 चिरंजीवियों में से एक माने गए हैं.
हालांकि ब्राह्मण समाज का आराध्य देव माना जाता है. बावजूद इसके उनकी पूजा घरों में लोग नहीं करते.
भगवान विष्णु ब्रह्माण्ड के संरक्षक हैं और हिंदू धर्मग्रंथों में परशुराम को ऋषि जमदग्नि का पुत्र बताया गया है.
ऐसा नहीं कि वो पूजनीय नहीं हैं लेकिन उनकी पूजा सामान्यत:लोग नहीं करते और इसके पीछे एक प्रमुख कारण है.
भगवान विष्णु के उग्र अवतार के रूप में जाना जाता है. फिर भी उनकी पूजा नहीं की जाती. इसके स्थान पर, एक आह्वान किया जाता है.
साधारण मनुष्य परशुराम की शक्ति को नियंत्रित करने में असमर्थ हैं. इसी कारण से अधिकतर लोग परशुराम की पूजा नहीं करते.
भगवान परशुराम की प्रार्थना करने से परशुराम की पूजा करने से व्यक्ति को अधिक शक्ति और सामर्थ्य प्राप्त होती है. लेकिन बावजूद उ
परशुराम की पूजा शक्ति का एक रूप है. उस शक्ति को नियंत्रित करने के लिए व्यक्ति में परशुराम जैसी शक्ति होनी चाहिए, तभी उनकी पूजा से प्राप्त आशीर्वाद पर नियंत्रण संभव हो सकेगा.
परशुराम जी का रूप और उनका कर्तव्य मुख्य रूप से युद्ध और शस्त्रों से जुड़ा हुआ था.उनका क्रोध और युद्ध का रूप आमतौर पर पूजा के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता.
Disclaimer: यह खबर सामान्य जानकारी और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.