Apr 23, 2024, 06:49 PM IST

क्यों भगवान राम ने हनुमान जी को दिया था मृत्युदंड?

Abhay Sharma

शास्त्रों में हनुमान जी को भगवान शिव का 11वां रुद्रावतार बताया गया है और उन्हें अत्यंत बलवान और बुद्धिमान माना जाता है.

हनुमान जी की राम भक्ति के बारे में लगभग सभी लोग जानते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि एक बार भगवान राम अपने परम भक्त को मृत्युदंड देने को तैयार हो गए थे?

एक कथा के अनुसार, एक बार नारद मुनि, गुरु वशिष्ठ, महर्षि विश्वामित्र समेत कई अन्य संत, महर्षि और ब्राह्मण एक सभा में उपस्थित हुए. 

इस सभा में हनुमान जी भी मौजूद थे. थोड़ी देर में सभा में चर्चा होने लगी कि क्या राम का नाम भगवान श्री राम से बड़ा है? नारद मुनि का विचार था कि भगवान राम का नाम भगवान राम से भी बड़ा है. 

यह साबित करने के लिए नारद मुनि ने सभा खत्म होने पर हनुमान जी से चुपके से कहा की वे जाने वाले सभी संतों का सत्कार करें, सिवाय विश्वामित्र के. यह दलील दी की वे तो राजा हैं. 

ऐसे में हनुमान जी ने सभी का सत्कार किया लेकिन विश्वामित्र को अनदेखा कर दिया. जिससे विश्वामित्र कोध्रित हो उठे और भगवान राम के पास जाकर हनुमान जी को मृत्युदंड देने का वचन ले लिया. 

विश्वामित्र भगवान राम के गुरु थे, ऐसे में गुरु की आज्ञा न टल जाए, इसलिए अपने प्रिय भक्त को मृत्युदंड देने का निश्चय कर लिया. 

वहां पहुंचकर जब राम जी हनुमान जी पर ब्रह्मास्त्र तर चला दिया, लेकिन हनुमान जी पर इनका कोई असर नहीं हुआ. क्योंकि वे लगातर राम नाम जप रहे थे. फिर नारद मुनि ने विश्वामित्र को सब सच-सच बता दिया.

जब हनुमान जी को यह पता चला कि श्री राम उन्हें मृत्युदंड देने आ रहे हैं तो वह कुछ समझ नहीं पाए. तब नारद मुनि ने राम नाम जपने की सलाह दी. 

विश्वामित्र ने भगवान राम को अपने वचन से मुक्त कर दिया और नारद मुनि ने यह सिद्ध कर दिया कि श्री राम नाम स्वयं भगवान श्री राम से बड़ा और शक्तिशाली है. राम नाम लेने वाले का कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता है.

Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.