May 28, 2024, 12:15 PM IST
भगवान राम और रावण के युद्ध के बारे में पूरी दुनिया जानती है. लेकिन, एक समय ऐसा भी आया जब भगवान राम और शिव जी के बीच घमासान युद्ध हुआ.
इस युद्ध से अधिकतर लोग अनजान हैं. शिव पुराण में त्रेता युग में भगवान शिव और भगवान राम के बीच युद्ध का जिक्र मिलता है.
पौराणिक कथा के अनुसार, श्री राम के अश्वमेघ यज्ञ के लिए चुना गया घोड़ा जब वीरमणि नामक राजा के शहर में प्रवेश करता है, तो राजा का बेटा घोड़े को पकड़ लेता है.
वीरमणि भगवान शिव के परमभक्त थे. ऐसे में जब घोड़े के कारण राजा से हनुमान जी और श्री राम की सेना के बीच भयंकर युद्ध होता है, तो शिव जी अपने भक्त के लिए युद्ध में शामिल हो जाते हैं.
इस युद्ध में शिव जी के सेवक सुबाहु, सुमादा और पुष्कल जैसे सेना के कई नायकों को मार गिराते हैं. इस युद्ध में शत्रुघ्न शिव जी पर ब्रह्मास्त्र चला देते हैं, जिसके जवाब में शिव जी ने ब्रह्मासिरस छोड़ते हैं.
भगवान शिव के इस प्रहार से शत्रुघ्न बेहोश हो जाते हैं, अंत में हनुमान जी भी शिव जी युद्ध के लिए खड़े हो जाते हैं. आखिर में राम स्वयं युद्ध के मैदान में प्रकट हुए.
ऐसे में श्रीराम ने पाशुपतास्त्र निकालकर शिव पर चला दिया तो ये अस्त्र महादेव के हृदयस्थल में समा गया और इससे भगवान रुद्र संतुष्ट हो गए.
शिव जी ने श्री राम को वरदान के रूप में वीरगति को प्राप्त हुए उनके सभी योद्धाओं को जीवनदान दे दिया. भगवान शिव की आज्ञा से राजा वीरमणि ने यज्ञ का अश्व भी श्रीराम को वापस लौटा दिया.
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. डीएनए हिंदी इसकी पुष्टि नहीं करता है.