Jan 9, 2025, 05:17 PM IST
13 जनवरी 2025 से प्रयागराज में महाकुंभ (Mahakumbh Mela 2025) का आरंभ होने वाला है, जो कि 26 फरवरी को समाप्त होगा.
इस भव्य मेले का मुख्य आकर्षण शाही स्नान माना जाता है. मान्यता है कि बिना शाही स्नान के महाकुंभ का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है.
महाकुंभ में शाही स्नान का सबसे पहला मौका नागा साधुओं को मिलता है, शास्त्रों में महाकुंभ में शाही स्नान का सर्व प्रथम अधिकारी नागा साधुओं को माना गया है.
नागा साधु साधु-संत समाज सुधार और सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपने जीवन का त्याग कर तपस्या में लीन रहते हैं, प्राचीन समय में नागा साधु क्षत्रिय धर्म को भी निभाते थे.
साथ ही धार्मिक स्थलों की रक्षा करते थे. इसलिए इन्हें सबसे पहले स्नान का अधिकार देकर सम्मानित किया जाता है. साथ ही भगवान शिव की तपस्या और साधना के कारण भी इन्हें ये अधिकार दिया जाता है.
महाकुंभ में नागा साधुओं का स्नान धर्म और आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रारंभिक केंद्र माना जाता है, ऐसा माना जाता है कि इनके स्नान से संगम के जल में आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है.
बता दें कि इनके स्नान के बाद आम श्रद्धालुओं को पवित्र स्नान की अनुमति दी जाती है, जो शुद्धिकरण और मोक्ष का मार्ग माना जाता है.
Disclaimer: हमारा लेख केवल जानकारी प्रदान करने के लिए है. ये जानकारी सामान्य रीतियों और मान्यताओं पर आधारित है.