May 29, 2024, 02:44 PM IST

हस्तिनापुर की जानलेवा मेहमाननवाजी में कैसे फंस गया था शकुनि का परिवार  

Ritu Singh

मेहमाननवाजी भला किसी के लिए जानलेवा हो सकती है? जी हैं, ऐसा महाभारत काल में गांधारी के परिवार के साथ हुआ था.

गांधारी के विवाह के बाद कौरवों ने ससुरालियों के साथ कुछ ऐसा किया कि शकुनि ने बदला लेने के लिए ही महाभारत का बीज बो दिया. 

गांधारी और धृतराष्ट्र के विवाह के बाद, भीष्म को पता चला कि गांधारी एक तरह से एक विधवा है और लोगों में इस बात को लेकर कानाफूसी होने लगी

गांधारी का श्राप मिला हुआ था कि उसका पहले पति की विवाह के तीन माह बाद मृत्यु हो जाएगी, इसलिए उसका विवाह एक बकरे से कराकर उसकी कुर्बानी दे दी गई थी

कुरु वंश को धोखा दिए जाने की बात से भीष्म इतने क्रुद्ध हुए कि उन्होंने गांधारी के पिता और उसके सभी भाइयों को नजरबंद कर दिया.

यह एक तरह से मेहमाननवाजी थी. उस युग का धर्म यह था कि वधू का परिवार उसके ससुराल में पहली बार आने पर तब तक नहीं जा सकता, जब तक उन्हें भोजन मिलता रहे.

समय के साथ, भोजन की मात्रा कम से कम होती गई. अंत में वह इस सीमा तक पहुंच गई कि गांधारी के परिजन मरने लगे. 

यह स्पष्ट हो गया कि गांधारी के ससुरालवाले उन्हें भूखा मारना चाहते थे. मगर नियम से उन्हें भोजन दिया जा रहा था, इसलिए वे जा नहीं सकते थे, यह उनका धर्म था.

उन्होंने आपस में फैसला किया कि एक को छोड़कर बाकी सब भूखे रहेंगे और केवल शकुनि को वो भोजन मिलेगा.

शकुनि सबसे अधिक बुद्धिमान था ताकि वह जीवित रहकर इन लोगों से प्रतिशोध ले सके. 

पिता के मरने पर उसे अपनी मातृभूमि में उनका कर्मकांड करना पड़ता. उस समय शकुनि वहां से निकला और फिर महाभारत का बीज बो दिया.