Jan 9, 2024, 07:42 PM IST

चांद पर बिजली बनाएगा ISRO

Kuldeep Panwar

Chandrayaan-3 के बाद भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO ने एक और इतिहास अपने नाम दर्ज कर लिया है. यह इतिहास है सूर्य मिशन Aditya L1 को सफलता से लेंग्रेज पॉइंट पर स्थापित करने का.

चंद्रयान-3 और आदित्य L1 के बाद अब इसरो इससे भी बड़ी छलांग अतंरिक्ष में लगाने की तैयारी में है. इसरो ने आकाश में बिजली पैदा करने की तकनीक हासिल कर ली है.

इसरो ने इस फ्यूल सेल तकनीक का सफल परीक्षण करने का दावा किया है, जो चांद पर मानव बस्ती बसाने से लेकर अंतरिक्ष स्टेशन चलाने तक की राह में बड़ा कदम माना जा रहा है.

इसरो ने बताया है कि उसने Polymer Electrolyte Membrane Fuel Cell based Power System (FCPS) का सफल परीक्षण किया है.

यह परीक्षण 1 जनवरी को PSLV-C58 रॉकेट से लॉन्च किए गए ऑर्बिटल प्लेटफॉर्म POEM3 से किया है, जिसका मकसद आकाश में फ्यूल सेल ऑपरेशन का डाटा जुटाना था.

इस परीक्षण के दौरान इसरो ने हाई प्रेशर पर स्टोर की गई ऑक्सीजन व हाइड्रोजन गैसों के जरिये बेहद कम समय में 180 वॉट बिजली जनरेट करके उसका रिजल्ट देखा है.

यह परीक्षण पूरी तरह सफल रहा है. खास बात यह है कि इससे अंतरिक्ष में भी बायप्रॉडक्ट के तौर पर साफ पानी हासिल हुआ है, जिसका इस्तेमाल पीने में किया जा सकता है.

इस परीक्षण को भविष्य के लिए बेहद अहम माना जा रहा है, क्योंकि यह अंतरिक्ष स्टेशन या दूसरे ग्रह पर बस्ती के लिए पॉवर जनरेट करने के साथ ही पीने का पानी भी उपलब्ध कराएगा.

इसके अलावा इसरो ने इलेक्ट्रिक वाहनों की क्षमता बढ़ाने की भी राह साफ कर दी है. दरअसल इसरो ने '10 AH सिलिकॉन-ग्रेफाइट-एनोड' वाले ली-आयन सेल तैयार किए हैं.

ये नए सेल पारंपरिक बैटरी सेल की तुलना में कम लागत वाले और ज्यादा क्षमता वाले होंगे. इन सेल का वजन भी कम होगा, जिससे रॉकेट या कार की वर्किंग पॉवर ज्यादा बढ़ेगी.

इसरो ने दावा किया है कि इन सेल का 1 जनवरी को PSLV-C58 की उड़ान में बैटरी के तौर पर सफल परीक्षण किया गया है. इससे आगामी मिशनों में 35-40 फीसदी बैटरी स्पेस की बचत होगी.