Mar 22, 2024, 05:58 PM IST

कितना पढ़े-लिखे हैं Arvind Kejriwal

Kuldeep Panwar

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को दिल्ली शराब नीति मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गिरफ्तार कर लिया है. ED इसे घोटाला बता रही है.

अरविंद केजरीवाल मौजूदा भारतीय राजनीति के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे नेताओं में से एक माना जाता है. वे IIT ग्रेजुएट हैं और UPSC एग्जाम भी पास कर चुके हैं.

हरियाणा के भिवानी में जन्मे केजरीवाल ने हिसार के कैंपस स्कूल और सोनीपत के होली चाइल्ड स्कूल से अपनी 12वीं तक की पढ़ाई की थी.

केजरीवाल के पिता गोबिंदराम केजरीवाल इलेक्ट्रिकल इंजीनियर थे. इस कारण केजरीवाल खुद भी इंजीनियर बनना चाहते थे.

केजरीवाल ने 1985 में IIT-JEE में 563वीं ऑल इंडिया रैंक हासिल की थी. इसके बाद IIT-खड़गपुर से उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की थी.

केजरीवाल ने इंजीनियरिंग करने के बाद 1989 में जमशेदपुर में टाटा स्टील में जॉइन किया, लेकिन यह नौकरी 3 साल बाद ही छोड़ दी थी.

केजरीवाल ने UPSC Exam क्रैक करके 1995 में भारतीय राजस्व सेवा (IRS) जॉइन की थी और दिल्ली आयकर विभाग में जॉइंट कमिश्नर बने थे.

केजरीवाल ने 1993 बैच की IRS अफसर सुनीता से शादी की थी. साल 1999 में उन्होंने सरकारी नौकरी से छुट्टी लेकर समाजसेवा शुरू कर दी.

केजरीवाल ने 1999 में फर्जी राशन कार्ड घोटाले को उजागर करने वाला परिवर्तन आंदोलन चलाया और सूचना के अधिकार का संघर्ष शुरू किया.

साल 2006 में केजरीवाल ने पब्लिक कॉज रिसर्च फाउंडेशन बनाकर IRS की नौकरी से इस्तीफा दे दिया. इसी साल उन्हें Ramon Magsaysay Award भी मिला.

साल 2011 में केजरीवाल सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के साथ जुड़े और जन लोकपाल लागू करने के लिए इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन शुरू किया.

2013 में केजरीवाल ने अन्ना से मतभेद होने पर अलग होकर मनीष सिसोदिया आदि के साथ मिलकर आम आदमी पार्टी की स्थापना की.

2013 के विधानसभा चुनावों में AAP ने पहली बार राजनीतिक सफर शुरू किया और 70 में से 28 सीटें जीतकर तहलका मचा दिया.

केजरीवाल 28 दिसंबर, 2013 को कांग्रेस के समर्थन से दिल्ली के मुख्यमंत्री बने, लेकिन 49 दिन बाद ही उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया.

केजरीवाल ने 2014 लोकसभा चुनाव में वाराणसी से नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा, लेकिन 3.7 लाख वोट से उन्हें हार मिली थी.

केजरीवाल के नेतृत्व में AAP ने 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सीट हारी, लेकिन 2020 में विधानसभा चुनाव में फिर 70 में से 62 सीट जीती थीं.