Jan 27, 2024, 10:57 PM IST

राम मंदिर बनाने में कितना लोहा-सरिया लगा है?

Kuldeep Panwar

अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है, लेकिन उसका निर्माण कार्य अब भी जारी है. अभी मंदिर का ग्राउंड फ्लोर ही बना है, जबकि बाकी हिस्सा बनना बाकी है.

अयोध्या का राम मंदिर केवल ऐतिहासिक ही नहीं है बल्कि यह वास्तुकला के हिसाब से भी बेहतरीन नमूना होगा. दावा किया जा रहा है कि यह मंदिर हजार साल तक भी मजबूती से खड़ा रहेगा.

क्या आप जानते हैं कि नागर शैली वाले राम मंदिर का निर्माण एक खास टेक्नोलॉजी से किया जा रहा है, जिसमें इसे बनाने के लिए लोहे-सरिये का बिल्कुल भी उपयोग नहीं हुआ है.

वैज्ञानिक तरीके से तैयार किए जा रहे स्ट्रक्चर को केवल पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है, जिन्हें जोड़ने के लिए पुराने समय के तरीके इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने कुछ दिन पहले मीडिया से बातचीत में लोहा-सरिया उपयोग नहीं करने का कारण भी बताया था.

नृपेंद्र मिश्रा ने कहा था कि 57,000 वर्गफीट में बन रहे राम मंदिर में लोहा या स्टील इसलिए इस्तेमाल नहीं हुई है, क्योंकि इनकी अधिकतम उम्र 80-90 साल ही होती है.

लोहा-सरिया नहीं लगने के बाद भी मंदिर 1,000 साल तक कैसे खड़ा रहेगा? यदि ये सवाल दिमाग में है तो जान लीजिए कि इसका निर्माण किस तरीके से हो रहा है.

रूड़की स्थित केंद्रीय भवन अनुसंधान संस्थान (CBRI) के वैज्ञानिक राम मंदिर निर्माण में सलाह दे रहे हैं. CBRI निदेशक डॉ. प्रदीप कुमार रामंचरला के मुताबिक, 3 मंजिल मंदिर का डिजाइन ऐसा है, जो इसे भूकंपरोधी बनाता है.

रामंचरला के मुताबिक, सरयू नदी के कारण रेतीली जमीन में पहले पूरे इलाके की मिट्टी 15 मीटर गहराई तक खोदकर उसमें 12 मीटर की गहराई तक इंजीनियर्ड मिट्टी बिछाई गई है.

मिट्टी को ठोस चट्टान जैसा बनाने के लिए उसके ऊपर 47 परत वाले बेस्ड का कॉम्पेक्ट किया गया है. फिर 1.5 मीटर मोटी M-35 ग्रेड मेटल फ्री कंक्रीट राफ्ट बिछाई गई है.

मंदिर की नींव को बेहद मजबूत बनाने के लिए देश का सबसे अच्छी क्वालिटी वाले ग्रेनाइट पत्थर की 6.3 मीटर मोटी टाइल बिछाई गई है. यह पत्थर दक्षिण भारत के खास इलाके से आया है.

रामंचरला ने बताया कि मंदिर का ऊपर का पूरा हिस्सा गुलाबी बलुआ पत्थर से बना है, जो खासतौर पर राजस्थान के बंसी पहाड़पुर से मंगवाया गया है.

मंदिर के 366 स्तंभों को भी गुलाबी बलुआ पत्थर पर नक्काशी करके बनाया गया है. इनमें ग्राउंड फ्लोर पर 160, पहली मंजिल पर 132 और दूसरी मंजिल पर 74 स्तंभ हैं.

अयोध्या के राम मंदिर का गर्भगृह सबसे खास स्थान है. इसलिए इसका निर्माण देश के सबसे बेहतरीन क्वालिटी वाले सफेद संगमरमर पत्थर से हुआ है, जो राजस्थान के मकराना से आया है.

रामंचरला ने बताया कि सीमेंट या चूने से पत्थरों को जोड़ने के बजाय पूरे ढांचे को पौरोणिक 'ताला-चाबी तंत्र' की निर्माण विधि से तैयार किया जा रहा है, जिसमें पेड़ों का इस्तेमाल हुआ है.